दिल्ली में अनुबंध खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे किसान अमित राणा, कंपनी फ्री में दे रही सलाह
नागली पूना गांव निवासी अमित राणा वर्षों से अनुबंध के तहत खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नए कानूनों से किसान अपनी उपज को मंडी के साथ-साथ बाहर बेच सकता है। वे करीब एक एकड़ के खेत में अनुबंध के तहत जैविक खेती कर रहे हैं।
बाहरी दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। केंद्र सरकार नए कृषि सुधार कानूनों को लाकर देश के किसानों को बिचौलियों से छुटकारा दिलाना चाहती है। किसानों को उनकी उपज बेचने के पहले से बेहतर और बड़ा बाजार उपलब्ध कराना चाहती है, लेकिन कुछ किसान कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर राजधानी के किसान अपनी खेती में जुटे हुए हैं। ये किसान नए कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन कानूनों में किसानों की हर वह जरूरत शामिल है, जिसकी वर्षों से मांग की जाती रही है। जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें इन कानूनों को समझने की जरूरत है।
नागली पूना गांव निवासी अमित राणा वर्षों से अनुबंध के तहत खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नए कानूनों से किसान अपनी उपज को मंडी के साथ-साथ बाहर बेच सकता है। वे करीब एक एकड़ के खेत में अनुबंध के तहत जैविक खेती कर रहे हैं। अनुबंध के तहत खेती करने से उन्हें मंडी की ओर नहीं देखना पड़ा है। क्योंकि मंडी के भाव से करीब 30 फीसद अधिक भाव उन्हें कंपनी दे रही है। उन्होंने बताया कि अब खेती करने के पुराने तौर तरीकों से छुटकारा पाने का समय है।
किसान हानिकारक रसायनयुक्त कीटनाशक और खाद का प्रयोग खेती में कर रहे हैं, लेकिन अब जैविक खेती करने का समय आ गया। बड़ी-बड़ी कंपनियां आज जैविक खेती करने में किसानों की सहायता कर रही हैं। तीनों कृषि कानून किसान और उपभोक्ता, दोनों के हित के लिए ही लाए गए हैं। हालांकि अमित का यह भी कहना है कि भंडारण को असीमित करने से इसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका है। इसलिए इसमें उचित निगरानी की जरूरत है।
कंपनी दे रही निश्शुल्क सलाह
अमित ने बताया कि अनुबंध के तहत खेती करने से उन्हें अनेक फायदे हो रहे हैं। जिस कंपनी के साथ अनुबंध हुआ है वह खेती करने के तरीकों और फसलों की उचित देखभाल के बार में निश्शुल्क जानकारी मुहैया करा रही है। जैविक खेती में किस तरह की खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करना है, यह सब जानकारी कंपनी निश्शुल्क मुहैया कराती है। साथ ही समय-समय पर कृषि विज्ञानियों की एक टीम फसलों का निरीक्षण करने भी आती है।
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