Manish Sisodia: AAP नेता सिसोदिया को राहत नहीं, कोर्ट ने एक सप्ताह और बढ़ाई न्यायिक हिरासत
दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy 2021-22) घोटाले के सीबीआई के मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 मई तक बढ़ा दिया है। अदालत ने मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर आगे की बहस के लिए 15 मई की तारीख तय की है। सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। तब से आप नेता न्यायिक हिरासत में हैं।
एएनआई, नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy 2021-22) घोटाले के सीबीआई के मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 मई तक बढ़ा दिया है। अदालत ने मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर आगे की बहस के लिए 15 मई की तारीख तय की है।
इससे पहले 2 मई को मनीष सिसोदिया ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जा रही उत्पाद नीति मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था। तब से आप नेता न्यायिक हिरासत में हैं।
अधिवक्ता रजत भारद्वाज और मोहम्मद इरशाद ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। 30 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले में दूसरी बार सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह अदालत इस स्तर पर आवेदक को नियमित या अंतरिम जमानत देने के इच्छुक नहीं है। विचाराधीन आवेदन खारिज किया जाता है।
क्या है आबकारी नीति घोटाला
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू करके सरकार के राजस्व में इजाफा होने का दावा किया था। इसके बाद जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी।
इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
इस पर सीबीआई ने प्राथमिकी की थी और इस प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लान्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया था।
इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी।