नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हिंदी के प्रख्यात आलोचक व लेखक मैनेजर पांडेय का 81 वर्ष की आयु में आज यानि रविवार को निधन हो गया। उनकी पुत्री रेखा पांडेय ने बताया कि वे पिछले कई महीनों से मधुमेह रोग से ग्रसित थे जिसका इलाज वसंत कुंज के निजी अस्पताल से चल रहा था।
सोमवार को किया जाएगा अंतिम संस्कार
उनका अंतिम संस्कार सोमवार शाम चार बजे लोधी रोड स्थित श्मशान में किया जाएगा। लेखक मैनेजर पांडेय के एक छात्र विनयभूषण का कहना है कि काफी समय से उनसे जुड़े हुए हैं और उनसे काफी कुछ सीखा है।
बिहार में हुआ था जन्म, कई साल तक JNU में रहे प्रोफेसर
मैनेजर पांडेय का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले स्थित लोहटी गांव में 23 सितंबर, 1947 को हुआ था। वे कई सालों तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे तथा काफी गंभीर और जिम्मेदार समीक्षकों में से एक हैं।
दुनिया भर के समकालीन विमर्शों, सिद्धांतों और सिद्धांतकारों पर उनकी पैनी नजर रहती थी। मैनेजर पांडेय ने हिन्दी की मार्क्सवादी आलोचना को, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के आलोक में, देश-काल और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अधिक संपन्न और सृजनशील बनाया है।
ये हैं उनकी प्रमुख रचनाएं
साहित्य में उनकी प्रमुख रचनाएं 'साहित्य और इतिहास दृष्टि', 'शब्द और कर्म', 'साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका', 'भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य', 'आलोचना की सामाजिकता', 'हिन्दी कविता का अतीत और वर्तमान', 'आलोचना में सहमति असहमति', 'भारतीय समाज में प्रतिरोध की परंपरा', 'अनभै सांचा' इत्यादि महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
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