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NDA से अकाली की राहें जुदा होते ही दिल्ली नगर निगम में शुरू हुआ कयासों का दौर

अकाली कोटे से भाजपा के पार्षद बने पांचों निगम पार्षदों का पद से इस्तीफा देना मुश्किल लग रहा है। जानकार कहते हैं कि वर्ष 2022 मार्च-अप्रैल में निगम चुनाव होंगे। ऐसे में कोई भी पार्षद इस्तीफा देना नहीं चाहेगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 10:51 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 10:51 AM (IST)
NDA से अकाली की राहें जुदा होते ही दिल्ली नगर निगम में शुरू हुआ कयासों का दौर
शिअद बादल के दिल्ली इकाई फाइल फोटो

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में टूट का असर दिल्ली की सियासत पर भी दिखने लगा है। कृषि विधेयक मसले पर केंद्र की राजग सरकार से शिरोमणि अकाली दल (बादल) की राहें जुदा होने के बाद अब भाजपा शासित नगर निगमों से भी शिअद बादल के बाहर जाने के कयास तेज हो गए हैं। तीनों नगर निगमों में शिअद बादल के पांच पार्षद हैं और इनमें से तीन सत्तारूढ़ भाजपा के साथ किसी न किसी अहम पद पर हैं। पसोपेश पदों को छोड़ने भर का नहीं, बल्कि पार्षद पद से इस्तीफा देने को लेकर है, क्योंकि ये दोनों दलों के एक करार के मुताबिक भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं।

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इस बारे में शिअद बादल के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि इस बाबत सोमवार को पार्टी आलाकमान की बैठक है। उसमें स्पष्ट होगा कि दिल्ली के पार्षदों को क्या करना है। वैसे, इस मामले पर भाजपा के नेता किसी भी तरह की बयानबाजी से बच रहे हैं और इसे अकाली का अंदरूनी मसला बता रहे हैं।

दिल्ली भाजपा सिख सेल के प्रभारी कुलविंदर बंटी का कहना है कि इस मामले में फैसला अकाली को ही लेना है। अगर, हमारी पार्टी का प्रदेश नेतृत्व कोई फैसला लेता है, तो वह हमारे लिए भी मान्य होगा। उल्लेखनीय है कि भाजपा और अकाली ने गठबंधन के साथ वर्ष 2017 में निगम चुनाव लड़ा था। इसमें तीनों निगम में पांच पार्षद अकाली कोटे से भाजपा के चुनाव चिह्न पर जीतकर आए थे। शिअद बादल के एनडीए से अलग होने के बाद अब राजधानी के नगर निगम जोन चेयरमैन से लेकर समितियों के सदस्य पद से इस्तीफे का नैतिक दबाव बन रहा है।

पद से इस्तीफा मुश्किल

अकाली कोटे से भाजपा के पार्षद बने पांचों निगम पार्षदों का पद से इस्तीफा देना मुश्किल लग रहा है। जानकार कहते हैं कि वर्ष 2022 मार्च-अप्रैल में निगम चुनाव होंगे। ऐसे में कोई भी पार्षद इस्तीफा देना नहीं चाहेगा। हालांकि, निगम की विभिन्न समितियों में मिली जिम्मेदारी को ये पार्षद छोड़ सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो इसका असर निगम की सियासत के साथ ही आने वाले चुनाव पर भी दिखेगा।

ये हैं अकाली कोटे से भाजपा के पार्षद व अहम जिम्मेदारियां

उत्तरी निगम में जीटीबी नगर से पार्षद राजा इकबाल सिंह सिविल लाइंस जोन के चेयरमैन हैं, तो राजेंद्र नगर से पार्षद परमजीत सिंह राणा विशेष विधि एवं सामान्य प्रयोजन समिति के चेयरमैन हैं। दक्षिणी निगम में कालकाजी से पार्षद मनप्रीत कौर कालका सामुदायिक व तहबाजारी समिति में डिप्टी चेयरमैन हैं। वहीं पूर्वी दिल्ली में गुरजीत कौर व दक्षिणी निगम में अमरजीत सिंह पप्पू पार्षद हैं।

डीएसजीपीसी उपाध्यक्ष पद से बाठ ने दिया इस्तीफा

वहीं, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के बीच गठबंधन खत्म होने का असर दिल्ली की सियासत पर भी दिखने लगा है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह लगभग दो साल पहले भाजपा से इस्तीफा देकर शिअद बादल में शामिल हुए थे, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टयिों में समझौता नहीं होने पर भाजपा में लौट आए थे। पार्टी में उनके पास प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी है। अब दोनों पार्टयिों में गठबंधन खत्म होने के बाद उन्होंने डीएसजीपीसी के उपाध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला कर लिया है।

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