कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के साथ अंतिम संस्कार कर मिसाल पेश कर रहे डॉक्टर, पढ़ें एक डॉक्टर और एक कर्नल की कहानी
धरती के भगवान के कहे जाने वाले डाक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं। वहीं एक चिकित्सक ने अनोखी मिसाल पेश की है। कोरोना से मृत महिला के अंतिम संस्कार के लिए सभी ने हाथ खड़े कर दिए तो डाक्टर ने अंतिम संस्कार किया
नई दिल्ली, [निहाल सिंह]। धरती के भगवान के कहे जाने वाले डाक्टर जहां अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों का इलाज करने में जुटे हैं, वहीं एक चिकित्सक ने अनोखी मिसाल पेश की है। जब कोरोना से मृत महिला के अंतिम संस्कार के लिए सभी ने हाथ खड़े कर दिए तो डाक्टर ने अपने साथियों के साथ न केवल अंतिम संस्कार किया बल्कि परिवार को भी मदद करने का भरोसा दिया है।
¨हदूराव मेडिकल कालेज में कार्यरत डाक्टर वरुण गर्ग को अपने एक डाक्टर मित्र से जानकारी मिली कि दिल्ली कैंट स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल कोविड केयर अस्पताल में 77 वर्षीय निर्मला चंदोला की कोरोना से गुरुवार को मौत हो गई है। इसी अस्पताल में महिला के बेटे का भी इलाज चल रहा है। बेटे ने जब अपने नाते रिश्तेदारों से अंतिम संस्कार के लिए कहा तो कोई सामने नहीं आया। ऐसे में बेटे ने अस्पताल से मां का अंतिम संस्कार कराने की अपील की।
जिस पर डाक्टर वरुण गर्ग ने अपने साथियों के साथ मिलकर महिला का निगम बोध घाट पर पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया और अगले दिन जाकर अस्थियां भी चुनी। उन्होंने अस्थियों को घाट पर ही लाकर रख दिया है और इसकी जानकारी महिला के बेटे को दे दी है। ठीक होने पर वह इन अस्थियों को प्रवाहित कर सकेंगे। खास बात है कि डाक्टर वरुण हाल ही में कोरोना से ठीक होकर लौटे हैं। बीते माह ही उनकी पत्नी और मां भी संक्रमण का शिकार हो गई थी। तीनों लोग कोरोना को हरा चुके हैं। 37 वर्षीय डॉक्टर वरुण गर्ग 2015 से अस्पताल में कार्यरत हैं। वह फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
डीआरडीओ दिल्ली अस्पताल में तैनात हैं कर्नल गुलशन सैनी की मां का लखनऊ अस्पताल में देहांत हो गया। उनके ऊपर एक तरफ कोरोना से संक्रमित मरीजों की जान बचाने का फर्ज था तो दूसरी तरफ मृत्यु से संघर्ष कर रही मां। मां लखनऊ के डीआरडीओ अस्पताल में गंभीर थी तो बेटा दिल्ली के डीआरडीओ अस्पताल में मरीजों को नई जिंदगी दे रहा था। बेटे ने खुद को संभाला और मां के पास लखनऊ आने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि मरीजों की सांसों पर संकट था। शनिवार को 70 साल की मां ने आखिरी सांस ली।
दिल्ली के डीआरडीओ अस्पताल में कोरोना मरीजों की जान बचाने वाले कर्नल गुलशन सैनी कुछ दिन पहले तक लखनऊ छावनी स्थित एएमसी सेंटर केंद्र व कॉलेज में तैनात थे। दिल्ली में जब कोरोना बढ़ा तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को वहां एक आधुनिक अस्पताल बनाने के आदेश दिए। सेना के विशेषज्ञ डॉक्टर कर्नल गुलशन सैनी को दिल्ली के डीआरडीओ अस्पताल की स्थापना की जिम्मेदारी सौपी गई। लखनऊ में परिवार में 70 साल की मां, दो बच्चे और पत्नी को छोड़कर वह दिल्ली चले गए। उनका परिवार लखनऊ छावनी के सरकारी बंगले में रहता है।
कर्नल गुलशन सैनी की मां को कोरोना का संक्रमण हो गया। उनको कोविड निमोनिया होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।। उनकी हालत गंभीर होने पर वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसकी सूचना कर्नल गुलशन सैनी को दी गई। कर्नल सैनी जिस डीआरडीओ अस्पताल में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं, वहां बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित रोगी भर्ती हैं। उन रोगियों की जान बचाने के लिए कर्नल सैनी ने लखनऊ आने से मना कर दिया। कर्नल गुलशन सैनी की कर्तव्यपरायणता पर भारतीय सेना के पूर्व महानिदेशक मिलिट्री आपरेशन (डीजीएमओ) ले. जनरल विनोद भाटिया (अवकाशप्राप्त) सहित कई अफसरों ने इंटरनेट मीडिया पर उनको सैल्यूट किया है।
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