Diwali 2020 : पुलिस की सतर्कता जन-जन की सजगता, पटाखा न जलाने का लें संकल्प
अंतिम समय में कुछ कारोबारियों को पटाखे बेचने का लाइसेंस तो दिया गया था। कम उत्पादन के कारण ग्रीन पटाखे बाजार में आ ही नहीं पाए थे। लिहाजा चोरी छुपे स्टाक में पड़े पुराने सामान्य पटाखे मार्केट में खपाये गए थे।
नई दिल्ली, संतोष शर्मा। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 30 नवंबर तक के लिए दिल्ली एनसीआर में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। अगर कहीं कोई आदेश का उल्लंघन करता पाया जाता है तो पुलिस सीधे उस व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती है। ऐसे में पुलिस को चाहिए कि इस संबंध में जहां से भी शिकायत मिले उस पर त्वरित कार्रवाई करे। लेकिन इसके साथ-साथ लोगों को भी जागरूक होना होगा। अक्सर लोग कहते हैं नियम का उल्लंघन करने वालों को रोकने में दिल्ली पुलिस विफल साबित हो रही है। लेकिन यह कहना सही नहीं है। जब तक बाजार में पटाखे उपलब्ध होंगे उसकी खरीद-बिक्री होती रहेगी।
अगर लोग कालोनी अथवा घरों की छत पर पटाखे जलाते हैं तो पुलिस किसी भी हालत में उसे नहीं रोक सकती, क्योंकि हर घर के सामने तो पुलिस को तैनात नहीं किया जा सकता। इसे रोकने का सबसे सटीक तरीका पटाखों का अवैध भंडारण और बेचने वालों पर नकेल कसना ही है। हां, पुलिस एक काम जरूर कर सकती है कि शिकायत मिलते ही ऐसा करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कड़ा संदेश दे। इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि लोगों को जागरूक किया जाए, उन्हें पटाखों से होने वाले हर तरह के नुकसान के बारे में बताएं ताकि वे खुद पटाखे ना जलाएं और ना ही अन्य लोगों को जलाने दें।
पटाखा न जलाने का लें संकल्प : लोगों को समझाना होगा कि पटाखा जलाने से थोड़ी देर के लिए खुशी तो मिलती है, लेकिन इससे पैसे और स्वास्थ्य दोनों का नुकसान होना है। कार्रवाई के साथ अगर जागरूकता अभियान चलाया जाता है तो इसका फायदा जरूर दिखेगा। अभियान के तहत स्थानीय पुलिस अधिकारी
आरडब्ल्यूए और अन्य संगठनों के साथ मिलकर लोगों को पटाखा ना जलाने का संकल्प दिलवाएं। दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान समय में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। उस पर कोरोना महामारी का प्रकोप। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि प्रदूषण को कम अथवा नियंत्रित नहीं किया गया तो संक्रमण तेजी से फैल सकता है।
लोग भी बनें मददगार : पटाखों से निकलने वाला जहरीला धुआं श्वास रोगियों के लिए जानलेवा साबित होता है। इसलिए जरूरी है कि पुलिस व अन्य एजेंसियां इसे रोकने के लिए कार्रवाई के साथ ही अन्य कदम उठाए। वहीं, लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पटाखों से परहेज करना होगा। पटाखों पर खर्च होने वाली राशि का प्रयोग वे सजावटी सामनों की खरीदारी में कर सकते हैं। पटाखों के रुपयों से गरीब व असहाय लोगों की भी मदद की जा सकती है। इसके साथ ही लोग अच्छे नागरिक की तरह पटाखों का अवैध कारोबार करने वालों की सूचना तुरंत पुलिस को दे सकते हैं ताकि उन पर कार्रवाई कर पटाखों की बिक्री को रोका जा सके।
गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखों व पेट्रालियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाइजेशन (पेसो) सत्यापित पटाखा बेचने की बात कही थी। चूंकि दीवाली के कुछ समय पूर्व ही निर्णय लिया गया था लिहाजा पटाखे को लेकर किन शर्तों के आधार पर कारोबारियों को लाइसेंस दिया जाए इसे लेकर पुलिस में उधेड़बुन की स्थिति थी।
योजनाबद्ध तरीके से हो काम : अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (सेवानिवृत्त) अशोक चांद ने बताया कि इस वर्ष कुछ घंटे पटाखे जलाने की छूट की संभावना के तहत पहले पुलिस ने कई कारोबारियों को ग्रीन पटाखा बेचने का लाइसेंस जारी कर दिया था। बाद में सरकार और एनजीटी द्वारा हर तरह के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण बाद में लाइसेंस निरस्त करना पड़ा। इस बीच कारोबारी पटाखा खरीद चुके थे। अब अचानक प्रतिबंध से वे सकते में आ गए हैं। बाजार में आ चुके पटाखे चोरी छुपे लोगों को बेचे जा रहे हैं। ऐसा ना हो, इसके लिए पुलिस को और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
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