पांडवकालीन हनुमान मंदिर में अब नहीं जला सकेंगे दीया, श्रद्धालुओं ने किया निर्णय का स्वागत
श्रद्धालुओं ने भी मंदिर प्रशासन के निर्णय का स्वागत किया है। इसका असर मंदिर परिसर में भी देखने को मिला। पहले की तुलना में श्रद्धालुओं ने मंदिर में कम दीये जलाए।
नई दिल्ली [ललित कौशिक]। पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता की दिशा में दिल्ली के एक मंदिर प्रशासन ने सराहनीय कदम उठाया है। इस मंदिर में अब श्रद्धालु दीया नहीं जला सकेंगे। यमुना बाजार के पांडवकालीन प्राचीन हनुमान मंदिर की प्रबंधन समिति ने यह फैसला लिया है। इसको लेकर मंदिर परिसर में जगह-जगह बैनर भी लगाए गए हैं। इस संबंध में श्रद्धालुओं को जागरूक करने के लिए मंदिर में वॉलंटियर्स भी तैनात किए गए हैं।
निर्णय का स्वागत
श्रद्धालुओं ने भी मंदिर प्रशासन के इस निर्णय का स्वागत किया है। इसका असर मंगलवार को मंदिर परिसर में भी देखने को मिला था। पहले की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं ने मंदिर में कम दीये जलाए। बता दें कि पांडवकालीन मंदिर होने की वजह से मंगलवार और शनिवार को यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। दिल्ली-एनसीआर से श्रद्धालु मंदिर में भगवान हनुमान के दर्शन के लिए आते हैं।
काफी धुआं हो जाता था
मंदिर प्रशासन का मानना है कि दिल्ली की आबोहवा वैसे ही काफी प्रदूषित है। इस हवा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हम सब को आगे आना ही होगा। मंदिर की मुख्य प्रबंधक सावित्री देवी ने बताया कि यहां पर मंगलवार और शनिवार को करीब पांच हजार से ज्यादा दीये जलते हैं। दीया जलाने के लिए पाम ऑयल और कपूर का इस्तेमाल होता है, जिससे काफी धुआं हो जाता था। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के कपड़े जलने का डर भी बना रहता था।
जलती रहेगी अखंड ज्योति
मुख्य प्रबंधक ने बताया कि श्रद्धालुओं की ओर से जहां-तहां दीये जलाने से गंदगी फैल रही थी। साथ ही दीयों का निस्तारण करना मुश्किल हो जाता था। मंदिर परिसर में प्रसाद बेचने के लिए जो दुकानें खुली हुई हैं, उनसे भी कहा गया है कि वे अब दीये न बेचें। जिसके सकारात्मक संकेत उनकी तरफ से भी मिले हैं। साथ ही श्रद्धालु भी मंदिर प्रशासन के फैसले का स्वागत कर रहे हैं। सावित्री देवी कहती हैं कि मंदिर में अखंड ज्योति जलती रहेगी। अगर कोई श्रद्धालु दीया जलाने की इच्छा रखता है तो वह अखंड ज्योति के लिए घर से घी ला सकता है।
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