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दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिलने का ख्वाब रह सकता है अधूरा

पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों की राय है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिलना आसान नहीं है। दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने के लिए 2008 में पहल की गई थी।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 12:53 PM (IST)
दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिलने का ख्वाब रह सकता है अधूरा
राजधानी को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिलने का ख्वाब अधूरा रह सकता है। (फाइल फोटो)

वीके शुक्ला,नई दिल्ली। राजधानी को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिलने का ख्वाब अधूरा रह सकता है। दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे को फिलहाल प्राथमिकता सूची से बाहर कर दिया है। इसका कारण पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों की वह राय है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिलना आसान नहीं है। वहीं, इस फैसले के लिए केंद्र सरकार की राय भी जरूरी है। दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने के लिए 2008 में पहल की गई थी। हालांकि, यह सफल नहीं हो सकी।

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2013 में 49 दिन की आम आदमी पार्टी सरकार के समय इस प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेजा गया था। इसे मंत्रालय ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को भेजा था। इसमें शाहजहानाबाद और लुटियंस जोन को विश्व धरोहर घोषित करने का प्रस्ताव था। दिल्ली सरकार का पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) इस योजना पर काम कर रहा था। इस योजना पर दो करोड़ से अधिक की राशि भी खर्च की गई थी।

साथ ही इससे संबंधित डोजियर (शहर के पुरातात्विक महत्व के बारे में जानकारी) को यूनेस्को भेजा गया था। इस पर आगे की कार्रवाई करते हुए अक्टूबर 2014 के पहले सप्ताह में यूनेस्को की 20 सदस्यीय टीम ने पुरानी दिल्ली स्थित शाहजहानाबाद व नई दिल्ली इलाके में स्थित लुटियंस जोन का निरीक्षण किया था। टीम ने निरीक्षण के दौरान संतोष व्यक्त किया था और माना जा रहा था कि दोनों इलाकों को विश्व धरोहर का तमगा मिल जाएगा। हालांकि इसके बाद शहरी विकास मंत्रालय ने इन दोनों इलाकों को विश्व धरोहर घोषित कराने की योजना पर आपत्ति जता दी थी।

मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों के विश्व धरोहर घोषित हो जाने के बाद इनका विकास कार्य रुक सकता है। मंत्रालय ने यहां तक कह दिया था कि इस प्रस्ताव को वापस लिया जाए। इसके बाद वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने यूनेस्को से इस प्रस्ताव को वापस ले लिया। उसके बाद 2017 में यूनेस्को ने अहमदाबाद और 2019 में जयपुर को विश्व धरोहर शहर घोषित किया था। दिल्ली को विश्व धरोहर शहर घोषित कराने की योजना पर काम चुके इंटेक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज) के सलाहकार एजीके मेनन कहते हैं कि उन लोगों ने बहुत कोशिश की कि दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा मिल जाए।

हालांकि, यह संभव नहीं हो सका और अब इसकी उम्मीद भी कम ही है। -क्या कहते हैं पुरातत्वविद दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने के प्रयास फिर से शुरू किए जाने से पहले इस मामले में राज्य सरकार को केंद्र से राय जरूर लेनी चाहिए। विश्व धरोहर शहर घोषित कराने के लिए बहुत काम करना पड़ता है और अंतिम समय में प्रस्ताव निरस्त हो जाता है तो इसका कोई लाभ नहीं है। (पद्मश्री डॉ. केके मुहम्मद पूर्व निदेशक उत्तरी क्षेत्र,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण)

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