दिल्लीवासियों को दिसंबर से मिलेगी एक और सुविधा, लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम होगा शुरू
एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लाइट एंड साउंड शो होगा। मगर अभी फिलहाल लाइव परफार्मेंस नहीं होगी। इसके चलते कार्यक्रम की स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव किया गया है। लाइट एंड साउंड शो को दिसंबर तक शुरू किए जाने की योजना है।
नई दिल्ली [वी.के.शुक्ला]। लालकिला में लाइट एंड साउंड शो के साथ जिस सजीव चित्रण (लाइव परफार्मेंस) के लिए करीब एक माह तक 50 कलाकारों ने रिहर्सल की थी। यह लाइव परफार्मेंस अब नहीं होगी। इसके तहत शहंशाह शाहजहां से लेकर बहादुर शाह जफर तक के समय को लाइट एंड साउंड शो के साथ लाइव परफार्मेंस के तहत कलाकारों द्वारा दिखाया जाना था।
कोराेना के चलते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस कार्यक्रम पर रोेक लगा दी है। एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लाइट एंड साउंड शो होगा। मगर अभी फिलहाल लाइव परफार्मेंस नहीं होगी। इसके चलते कार्यक्रम की स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव किया गया है। लाइट एंड साउंड शो को दिसंबर तक शुरू किए जाने की योजना है।
दरअसल, लालकिला में शुरू होने जा रहे लाइट एंड साउंड शो में शहंशाह शाहजहां से लेकर बहादुर शाह जफर तक का चित्रण भी दिखाया जाना था। यह आयोजन लाइव परफार्मेंस के तहत होना था इसके लिए करीब 50 कलाकारों को टीम में लिया गया था। पहली बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के किसी स्मारक में इस तरह लाइट एंड साउंड शो में लाइव परफार्मेंस होनी गी। एक घंटे के इस कार्यक्रम में पूरा सीन ठीक उसी तरह दर्शाया जाना था जिस तरह से मुगलिया शासन के दौर में वास्तव में होता था। लाइट एंड साउंड सिस्टम का ट्रायल हो चुका है। तैयारी पूरी चल रही थीं। अप्रैल से यह शुरू होना था इससे पहले मार्च अंत से ही कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया था।
यहां बता दें कि लालकिला के इतिहास के कई पहलू हैं। जिसमें इसे प्रमुख रूप से 1857 की क्रांति और सुभाष चंद्र का नारा दिल्ली चलो के नाम से प्रमुख रूप से जाना जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस की सेना के प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। गद्दी के लिए किस तरह क्रांति हुई, देश को ब्रिटिश कंपनी के हाथों जाने से बचाने के लिए वीर सिपाहियों ने किस तरह जान की कुर्बानियां दीं।
आन बान और शान बचाने के लिए देश भक्तों ने जान की बाजी लगा दी। यह सब इस कार्यक्रम में शामिल होगा। लाइट एंड साउंड में शाहजहां के साथ साथ दाराशिकोह का भी दौर दिखेगा। वहीं अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के समय के सीन भी दिखाई देंगे। यह आयोजन राष्ट्रवाद हो समर्पित होगा। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति पर डालमिया कंपनी द्वारा शुरू किया जा रहा है।
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