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Delhi Unlock-4 Guidelines: दिल्ली में फिर अखाड़ों की मिट्टी से आएगी पसीने की खुशबू

Delhi Unlock-4 Guidelines दिल्ली में 100 से अधिक अखाड़े हैं जिनमें कोई पांच हजार से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी व तैयार हो रहे युवा-बच्चे कुश्ती के दांव-पेंच सीखते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 02:28 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 02:28 PM (IST)
Delhi Unlock-4 Guidelines: दिल्ली में फिर अखाड़ों की मिट्टी से आएगी पसीने की खुशबू

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। Delhi Unlock-4 Guidelines: दिल्ली के अखाड़ों की मिट्टी एक बार फिर पसीने की खुशबू से महकने को तैयार है। गृह मंत्रालय ने 21 सितंबर से खेल गतिविधियों की इजाजत दी है तो दिल्ली के अखाड़े फिर से कमर कसने लगे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 100 से अधिक अखाड़े हैं, जिनमें कोई पांच हजार से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी व तैयार हो रहे युवा-बच्चे कुश्ती के दांव-पेंच सीखते और आजमाते हैं। इनमें चंदगीराम अखाड़ा, गुरु हनुमान अखाड़ा व कैप्टन चांदरूप जैसे अखाड़े भी है, जिन्होंने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान दिए हैं। पर ये सभी लॉकडाउन से ही बंद चल रहे हैं। वहीं, इसमें अभ्यास करने वाले दिल्ली के अलावा हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश के युवा अपने घरों को लौट चुके हैं। कुछ खिलाड़ी आते भी है तो वह कसरत करने के साथ दूरी बनाकर अलग-अलग अभ्यास करते हैं।

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अब गृह मंत्रालय ने खेल की गतिविधियों को जारी करने की इजाजत दे दी है तो पहलवान खुश हैं। वैसे, अभी अखाड़ों को सरकार के दिशानिर्देशों का इंतजार है, जिसमें जिक्र होगा कि खेल स्थल पर कोरोना से बचाव के क्या-क्या इंतजाम करने होंगे। इसमें अनिवार्य कोरोना टेस्ट के साथ शारीरिक दूरी व मॉस्क जैसी व्यवस्था हो सकती है। चंदगीराम अखाड़े के संचालक व बतौर डीएसपी मथुरा में तैनात जगदीश कालीरमन कहते हैं कि कुश्ती ऐसा खेल है, जिसमें दो खिलाडि़यों को आपस में भिड़ना पड़ता है। तभी वह दांव-पेंच सीखते हैं। कई खेलों में ऐसा नहीं होता है। इसलिए हमें ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। इसलिए, अब मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है।

इस संबंध में भारतीय खेल प्राधिकरण की तरफ से भी कोई निर्देश नहीं आए हैं। ऐसे में अखाड़ा शुरू होने में कुछ दिन का वक्त लग सकता है। अखाड़ों की दिनचर्या सुबह 6 बजे से शुरू होकर शाम सात बजे तक चलती है। ऐसे में तैयारी यह भी है कि शुरुआती दिनों में कुछ ही घंटे अखाड़े खुले और कम से कम लोग को एक साथ इकट्ठा किया जाएं।  

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