Delhi Volence Case: अति गोपनीय गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करे दिल्ली पुलिस, कोर्ट ने दिया आदेश
अदालत ने पुलिस की अर्जी को स्वीकार करते हुए आदेश दिया है कि अति सुरक्षित गवाहों के नाम हटाकर आरोपितों और उनके वकीलों को आरोपपत्र की प्रति मुहैया कराई जाए। साथ ही इन गवाहों को सुरक्षा प्रदान किया जाए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामले में दायर आरोपपत्र में अति सुरक्षित गवाहों के नाम सार्वजनिक कर दिए गए। जिसमें से तीन गवाहों से कुछ लोगों ने संपर्क किया। इसे देखते हुए पुलिस ने अदालत में आरोपितों से आरोपपत्र की प्रति वापस लेने की अर्जी लगाई। अदालत ने पुलिस की अर्जी को स्वीकार करते हुए आदेश दिया है कि अति सुरक्षित गवाहों के नाम हटाकर आरोपितों और उनके वकीलों को आरोपपत्र की प्रति मुहैया कराई जाए। साथ ही इन गवाहों को सुरक्षा प्रदान किया जाए।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 16 सितंबर को अदालत में आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन समेत 15 आरोपितों के खिलाफ 18 हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था। इसमें 15 अति गोपनीय गवाहों के नाम भी सार्वजनिक किए गए थे।
गवाहों से संपर्क करने पर पाबंदी
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में अभियोजन पक्ष ने आरोपितों से आरोपपत्र की प्रति वापस लेने के लिए अर्जी दायर की थी। अदालत ने याचिका मंजूर करते हुए आदेश में कहा कि कोई भी सुरक्षित गवाहों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकता। उनके नाम को कहीं प्रकाशित भी नहीं किया जा सकता। उनसे अगर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क करता है तो वह भी कानून के दायरे में आ जाएगा।
वकीलों को दूसरी आरोपपत्र मुहैया कराया जाएगा
इसके अलावा अदालत ने आरोपित व उनके वकीलों को कहा है कि वह आरोपपत्र की प्रतियों को वापस लौटा दें। पुलिस को अति सुरक्षित गवाहों के नाम हटा कर नए सिरे से आरोपपत्र की प्रति मुहैया कराने को कहा है। अदालत ने यह भी गौर किया है कि यह गलती जांच अधिकारी के स्तर पर हुई है। अदालत ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से कहा है कि वह इन गवाहों की सुरक्षा को सुनिश्चित करे।
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