Delhi Riots: जिसने आरोपित को मौके पर देखा नहीं, IO ने उसे बना दिया गवाह, कोर्ट ने लगाई फटकार
आइओ ने कोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा था कि आरोप पत्र में इस बात का उल्लेख है। लेकिन कोर्ट ने इसको गलत पाया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi violence case: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगों के एक आरोपित की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी (आइओ) को कड़ी फटकार लगाई है। आइओ ने इस मामले में जिस व्यक्ति को गवाह बनाया है, उसने मौके पर आरोपित को देखा ही नहीं। जबकि आइओ 161 सीआरपीसी की धारा के तहत गवाह का बयान भी दर्ज कर लिया था। आइओ ने कोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा था कि आरोप पत्र में इस बात का उल्लेख है। लेकिन कोर्ट ने इसको गलत पाया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आरोपित योगेंद्र सिंह को 30 हजार की राशि पर जमानत दे दी। योगेंद्र पर आरोप है कि उसने दिल्ली दंगों में ज्योति नगर इलाके में एक दुकान में तोड़फोड़ की थी। कुछ वक्त बाद ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि मुहम्मद असलम नाम के शख्स ने आरोपित को अपराध स्थल पर देखा था। जब कोर्ट ने आरोप पत्र पर नजर डाली तो उसमें पाया कि आरोप पत्र में तो ऐसा कुछ नहीं है, सिर्फ हेड कांस्टेबल रविंद्र ने ही आरोपित की पहचान की है।
कोर्ट ने आइओ के दावे को गलत माना
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आइओ के दावे को गलत माना। काेर्ट ने आरोपित को जमानत देते हुए कहा कि आइओ को सावधान रहना होगा। कोर्ट ने कहा इस आदेश की एक प्रति पूर्वी रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त (पूर्वी रेंज) को भेजी जानी चाहिए, ताकि वह देखे आइओ कितनी लापरवाही से काम कर रहे हैं। पुलिस को दंगों की जांच की महत्वता को समझना होगा। आराेपित के वकील बिलाल अनवर ने कहा कि आरोपित के खिलाफ कोई सुबूत नहीं थे। बता दें 23 फरवरी को उत्तरी पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
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