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नजीब अहमद की तलाश में रोड़ा बने 9 छात्र, पुलिस को नहीं मिल रहा सहयोग

नौ छात्रों में शामिल नजीब का रूम-मेट भी पुलिस तफ्तीश से बचने का प्रयास कर रहा है। पुलिस इनका लाई-डिटेक्टर टेस्ट कराकर नजीब की गुमशुदगी का सच पता लगाना चाहती है।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 08:22 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 10:10 PM (IST)
नजीब अहमद की तलाश में रोड़ा बने 9 छात्र, पुलिस को नहीं मिल रहा सहयोग
नजीब अहमद की तलाश में रोड़ा बने 9 छात्र, पुलिस को नहीं मिल रहा सहयोग

नई दिल्ली [जेएनएन]। तीन महीने से भी अधिक समय से लापता जवाहर लाल नेहरू विश्र्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद को तलाशने के लिए जारी दिल्ली पुलिस की तफ्तीश अब नौ छात्रों पर आकर टिक गई है। इन नौ छात्रों में से दो जेएनयू के पूर्व छात्र है। पुलिस इनका लाई-डिटेक्टर टेस्ट कराकर नजीब की गुमशुदगी का सच पता लगाना चाहती है। दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष दाखिल की गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने यह जानकारी दी।

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क्राइम ब्रांच ने अदालत को बताया कि वह फिलहाल यह मान कर चल रहे हैं कि उक्त नौ छात्र फरार है। यह छात्र जांच में भी सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते वह संदेह के दायरे में हैं। अगर छात्र खुद को बेकसूर मानते हैं तो तुरंत सामने आएं और तफ्तीश में पुलिस के साथ सहयोग करें। विश्र्वविद्यालय से लेकर उनके घर तक पुलिस पहुंची, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। जेएनयू प्रशासन के माध्यम से इन्हें नोटिस जारी कर जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।

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न्यायमूर्ति जी.एस.सिस्तानी और विनोद गोयल की खंडपीठ के समक्ष कहा गया कि इन नौ छात्रों में शामिल नजीब का रूम-मेट भी पुलिस तफ्तीश से बचने का प्रयास कर रहा है। इन छात्रों से हर संभव तरीके से पूछताछ करने की कोशिश की गई, लेकिन वह सामने नहीं आए और न ही इनकी तरफ से किसी ने पुलिस का नोटिस स्वीकार किया।

खंडपीठ को बताया गया कि दिल्ली पुलिस की पांच टीमें इस मामले की जांच कर रही हैं। वह इन नौ छात्रो का लाई-डिटेक्टर टेस्ट करना चाहते है, ताकि बहुत देर होने से पहले ही नजीब तक पहुंचा जा सके। नजीब की मां ने भी दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर उनके बेटे को खोजने के लिए कदम उठाने की मांग की है।

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एक छात्र भी पहुंचा हाई कोर्ट

इसी बीच नौ में से एक छात्र ने भी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। छात्र के वकील ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि दिल्ली पुलिस उसे झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास कर रही है। पुलिस की जांच पक्षपातपूर्ण है। पुलिस से लेकर अदालत उन्हें जबरन लाई-डिटेक्टर टेस्ट से गुजरने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है। इस पर दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता ने कहा कि हम पेशेवर तरीके से जांच को आगे बढ़ा रहे हैं। अगर हमारे मन मे किसी प्रकार का खोट होता तो अबतक छात्रों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुके होते। मामले की अगली सुनवाई अब 13 फरवरी को होगी।


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