Delhi News: दिल्ली Metro ने ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ाया एक और बड़ा कदम, बिजली बचाने के लिए इस योजना पर चल रहा काम
Delhi News दिल्ली मेट्रो बिजली बचाने के लिए मेट्रो स्टेशनों की छत पर सोलर पैनल बिछाएगा। पायलेट परियोजना के तौर पर सबसे पहले मजेंटा लाइन पर जामिया मिल्लिया से ओखला विहार मेट्रो स्टेशन के बीच इस साल सोलर पैनल लगाए जांएगे।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। मेट्रो में परंपरागत बिजली की खपत व निर्भरता कम करने के लिए DMRC (दिल्ली मेट्रो रेल निगम) ने सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना तैयार की है। इसके तहत मेट्रो स्टेशनों की छत पर सोलर पैनल लगाने के बाद अब एलिवेडेट मेट्रो कारिडोर के वायाडक्ट के रेलिंग पर सोलर पैनल वर्टिकल (खड़ा) रूप से लगाए जाएंगे।
पायलेट परियोजना के तौर पर सबसे पहले मजेंटा लाइन पर जामिया मिल्लिया से ओखला विहार मेट्रो स्टेशन के बीच इस साल सोलर पैनल लगाए जांएगे। जिससे 100 किलोवाट सौर ऊर्जा उत्पन्न हो सकेगी। इस कार्य के लिए डीएमआरसी ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।
यह परियोजना सफल होने के बाद सभी मेट्रो कारिडोर के एलिवेटेड हिस्से के वायाडक्ट पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे। मौजूदा समय में डीएमआरसी 147 मेगावाट सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए विभिन्न मेट्रो स्टेशन व डिपो की छत पर लगे सोलर पैनल से 47 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होती है।
इसके अलावा डीएमआरसी 100 मेगावाट बिजली मध्य प्रदेश के रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र से सस्ते दर पर खरीद रहा है। इसलिए मेट्रो में 35 प्रतिशत बिजली की जरूरतें सौर ऊर्जा से पूरी हो रही है। डीएमआरसी का कहना है कि इस साल के अंत तक मेट्रो ने अपने संसाधनों से सौर ऊर्जा का उत्पादन 47 मेगावाट से बढ़ाकर 50 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है।
इसके मद्देनजर अब एलिवेटेड कारिडोर के वायाडक्ट पर सोलर पैनल लगाने का फैसला किया गया है। इसी क्रम में प्राथमिक अध्ययन व मूल्यांकन के आधार पर शुरुआत में जामिया मिल्लिया से ओखला विहार मेट्रो स्टेशन के बीच के वायाडक्ट पहचान की गई, जहां ये सोलर पैनल लगाए जाएंगे।
अध्ययन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए किस जगह सोलर पैनल लगाना अधिक प्रभावी होगा। इसके अलावा मेट्रो परिचालन के कारण हवा के दबाव, कंपन इत्यादि का विश्लेषण किया गया। सोलर पैनल लगाने वाली एजेंसी 25 साल तक उसके संचालन व रखरखाव की जिम्मेदारी भी संभालेगी।
इसे लगाने का काम रात में मेट्रो का परिचालन बंद होने के बाद होगा। इस वजह से प्रतिदिन तीन घंटे ही काम हो पाएगा। यह परियोजना पूरी होने के बाद वायाडक्ट पर लगे खड़े सोलर पैनल और उसके संरचना का परीक्षण किया जाएगा। इसके जरिये यह परखने की कोशिश की जाएगी कि प्राकृतिक हवा के बहाव और मेट्रो ट्रेनों की गति के कारण हवा के दबाव व कंपन का सोलर पैनल पर किस तरह का असर पड़ता है।
इस आधार पर मेट्रो कारिडोर के अन्य हिस्सों पर सोलर पैनल लगाने के लिए स्थायी डिजाइन तैयार किया जा सकेगा। इससे भविष्य में मेट्रो अपनी बिजली की अधिक से अधिक जरूरतें सौर ऊर्जा से पूरी कर सकेगी।