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Delhi Lok Sabha Election 2024: दिल्ली वालों घूमने जरूर जाइए, पर पहले पूरा कर लीजिए मतदान का दायित्व

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बारे में यह उम्मीद की जाती है कि यहां रहने वाले देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले अधिक जागरूक हैं और वे मतदान का महत्व भली भांति समझते हैं इसके बावजूद यहां मतदान प्रतिशत कम क्यों रह जाता है? इसका कारण यह है कि शहरों में एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसमें मतदान को लेकर उत्साह नहीं होता। उनमें नकारात्मक भाव होता है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Tiwari Published: Thu, 23 May 2024 01:27 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2024 01:37 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: घूमने जरूर जाइए, पर पहले पूरा कर लीजिए मतदान का दायित्व

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मतदान करने की ताकत का आपको उस वक्त एहसास होगा, जब आपकी अंगुली पर नीली स्याही के रूप में 'मत की ताकत' की पहचान लगेगी। तीखी धूप की चुभन भी आपको मतदान करने जाने से रोकेगी, लेकिन जरा सोचिए उस किसान को जो कड़ी धूप में खेती भी करता है और फिर जिम्मेदारी से मतदान भी करता है।

आप कहीं घूमने जाते हैं या किसी पारिवारिक आयोजन के लिए भी तो कड़ी धूप में बाहर निकलते हैं। यहां तो देश के लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव का अवसर है। अपने एक मत की ताकत दिखाने का मौका है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बारे में यह उम्मीद की जाती है कि यहां रहने वाले देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले अधिक जागरूक हैं और वे मतदान का महत्व भली भांति समझते हैं, इसके बावजूद यहां मतदान प्रतिशत कम क्यों रह जाता है? मतदान के लिए क्यों नहीं निकलते लोग? साथ ही मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए तात्कालिक तौर पर और क्या उपाय हों? इसी की पड़ताल हमारा आज का मुद्दा है :

क्या एनसीआर में मतदान प्रतिशत कम रहने के पीछे इसके महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता न होना प्रमुख वजह है?

  • हां : 82 %
  • नहीं : 18 %

क्या निर्वाचन आयोग को वर्तमान में एनसीआर में मतदाता जागरूकता के प्रयासों में और तेजी लाने की आवश्यकता है?

  • हां : 77%
  • नहीं : 23%

मतदान की जिम्मेदारी से ही होगा बेहतर भविष्य का निर्माण

लोकतंत्र में हर व्यक्ति अपनी आकांक्षाओं के मुताबिक केंद्र व राज्य की सत्ता पर ऐसी सरकार चाहता है जो उसकी उम्मीदों पर खरी उतर सके। इसलिए बहुमत के आधार पर सरकार का चयन होता रहा है। बहुमत के आधार पर जनता जिसे चाहती है उसे सत्ता तक पहुंचाती है। अपनी पसंद की सरकार के लिए मतदान जरूरी होता है। इसलिए लोकतंत्र में वोट की ताकत सबसे बड़ी होती है। हम देश का कैसा भविष्य चाहते हैं यह वोट की ताकत तय करती है। लेकिन शहरी लोगों में मतदान के प्रति उदासीनता हमेशा देखने को मिली है, विशेषकर देश की राजधानी दिल्ली में।

दिल्ली में लोकसभा चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो या स्थानीय निकाय का, अक्सर देखा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में मतदान कम होता है। यह लोकतंत्र के लिए कोई अच्छी बात नहीं है। जब तक मतदान की प्रक्रिया में सबकी भागीदारी नहीं होगी तब तक अपनी पसंद की सरकार बनने की चाहत रखना बेमानी है। मतदान कम होना सिर्फ एक दिल्ली की समस्या नहीं है।

गाजियाबाद व नोएडा में भी कम रहा मतदान

इस बार दिल्ली से सटे गाजियाबाद व नोएडा में भी मतदान बहुत कम रहा। वर्ष 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में मुंबई में 55.38 प्रतिशत मतदान हुआ था। तब हैदराबाद में 44.84 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार लोकसभा चुनाव में मुंबई में पिछले चुनाव से भी कम मतदान हुआ है। हैदराबाद में भी मतदान ज्यादा नहीं हो पाया। ऐसी ही स्थिति बेंगलुरु सहित अन्य कई बड़े शहरों की है।

इसका कारण यह है कि शहरों में एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसमें मतदान को लेकर उत्साह नहीं होता। उनमें नकारात्मक भाव होता है। उन्हें लगता है कि वे बहुत सामर्थ्यवान हैं। मतदान करने से क्या फायदा होगा? सरकार चाहे जो भी आए उनके कामकाज पर असर नहीं पड़ सकता। इसलिए किसी को वोट देने या न देने से कोई फर्क नहीं पड़ता और वे वोट की अहमियत नहीं समझते।

लोग सोचते हैं कि मतदान करने से क्या फायदा होगा?

सरकारों के कामकाज का तरीका भी समाज के हर वर्ग के लिए एक समान नहीं होता। इससे भी लोगों में असंतोष पैदा होता है और वे सोचने लगते हैं कि वोट चाहे किसी को दो चीजें ज्यादा बदलने वाली नहीं है। चुनाव जीतने के बाद नेता भी अपने आप को भगवान समझने लगते हैं। वे जनता से जुड़ नहीं पाते।

इससे भी लोगों में निराशा का भाव होता है। बहुत लोग यह सोचते हैं कि मतदान करने से क्या फायदा होगा। एक वोट नहीं भी पड़ेगा तो उससे क्या फर्क पड़ जाएगा। बहुत लोग दो-तीन की छुट्टी होने पर भी परिवार के साथ घूमने के लिए बाहर निकल जाते हैं।

दिल्ली की सभी सीटों पर 25 मई को होगा मतदान

दूसरी बात यह कि दिल्ली में एक बड़ी आबादी विस्थापितों की है जो रोजगार व शिक्षा के लिए दिल्ली में आकर रहते हैं। उनमें से बहुत लोग दिल्ली के मतदाता भी हैं। उनमें से बहुत अपनी जरूरत व सुविधा के मुताबिक वे अपने रहने का ठिकाना बदलते रहते हैं।

दिल्ली में इस बार 25 मई को चुनाव है। बहुत लोग गर्मी की छुट्टियों व कई अन्य कारणों से बाहर चलते जाते हैं। इसका भी मतदान पर असर पड़ता है। पिछले चुनावों पर गौर करें तो दिल्ली में मतदान कम होना निश्चित तौर पर ही चिंता का विषय है।

सब काम छोड़कर पहले वोट डालने जाइए

चुनाव आयोग मतदान में सबकी भागीदारी और अधिक से अधिक मतदान के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। पिछले चुनावों में भी ऐसे अभियान चलाए गए थे। फिर भी उसका बहुत ज्यादा असर नहीं हो पाता। राजनीतिक दलों को भी इस पर विचार करना होगा और मतदाताओं के बीच ऐसे मुद्दे रखने होंगे जिसे मतदाता कनेक्ट हो सके। मतदाताओं को भी यह समझना होगा कि पांच वर्ष में एक बार मौका आता है।

वोट देना हर मतदाता की जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी का निर्वहन करके ही अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए उदासीनता का भाव मन से निकालकर सबको मतदान में भागीदारी करनी चाहिए और मतदान के लिए सब काम छोड़कर पहले वोट जरूर डालना चाहिए। यह जानकारी एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) के संस्थापक सदस्य एवं ट्रस्टी जगदीप एस छोकर से जागरण संवाददाता रणविजय सिंह से बातचीत पर आधारित है।

सशक्त सरकार के लिए चाहिए मतदान की शक्ति

देश में अब तक हुआ मतदान का कम प्रतिशत हर किसी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। एक धारणा है, अधिक शिक्षित वर्ग, बौद्धिक वर्ग अपने मदतान के अधिकार को समझता है। जिम्मेदारी से उसका निर्वहन करता है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में बीते वर्षों का यह रिकार्ड इसके उलट तस्वीर दिखाता है। यहां स्थिति बहुत अच्छा नहीं रही है। और हमेशा ही ये आंकड़ा चिंता का विषय रहता है।

वर्तमान में तो तापमान भी कड़ी परीक्षा ले रहा है। 25 मई शनिवार यानी मतदान के दिन एनसीआर का तापमान 46 डिग्री रहने वाला है, मौसम विभाग ने भी रेड अलर्ट की चेतावनी जारी कर दी है। अब एक तरफ अधिकारी पर नैतिक कर्तव्य को पूरा करने का दायित्व है दूसरी तरफ लू के थपेड़ों से भी बचना है। अब यहीं से चुनाव आयोग की जिम्मेदारी भी शुरू होती है। आयोग को इसे लेकर बेहतर इंतजाम करने चाहिए।

मतदान स्थल होनी चाहिए टेंट की व्यवस्था

मतदान स्थल पर जहां कतार लंबी लगती हैं वहां पर टेंट की व्यवस्था होनी चाहिए। बुजुर्ग तथा शारीरिक रूप से अक्षम मतदाताओं के लिए अलग से मतदान करने से लेकर बैठने का इंतजाम करना चाहिए। आयोग इस तरह की तैयारियां कर भी रहा है लेकिन ऐसी व्यवस्था सभी केंद्रों तक होनी चाहिए।

ग्रामीण तबके से शहरी इलाके तक, ऐसा नहीं हो कि सिर्फ पाश इलाकों में कुछ बूथ ही सुविधा संपन्न दिखाई दें। हालांकि चुनाव आयोग पीने के पानी, टेंट और फर्स्ट एड बाक्स का इंतजाम करता है, मतदाता भी अपने स्तर पर गर्मी से बचाव का प्रयास करें।

शाम के वक्त अतिरिक्त समय बढ़ाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग और प्रशासन गर्मी से बचने के लिए एडवाइजरी जारी करता है। इस एडवाइजरी का पालन करके हम मतदान अधिक से अधिक कर सकते हैं और गर्मी से भी बचाव कर सकते हैं।

गर्मी का बहाना बता मतदान करने से बचते हैं लोग

जिला निर्वाचन अधिकारी और उनके सहायक अधिकारी अभी से ही सभी मतदान केंद्र पर पानी, बिजली और छाया करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें। इसमें उम्मीदवारों की मदद करने की जरूरत है। सबसे बड़ी बात यह मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं जो गर्मी का बहाना बता मतदान करने से बचते हैं। उन्हें अपना सोच बदलना होगा। क्या गर्मी अधिक होने पर लोग अपने निजी काम से बाहर नहीं निकलते हैं। उ

त्सव होते हैं तो लोग उसमें गर्मी में भी शामिल होते हैं। लोग गर्मी में ही बाहर घूमने जाने का भी तो प्लान बनाते हैं तो इस नैतिक जिम्मेदारी के लिए क्यों नहीं। ये भी तो लोकतंत्र का उत्सव है। आप अपने देश के लिए मजबूत सरकार चुनने जा रहे हैं तो इच्छाशक्ति को भी प्रबल कर लें।

एक किसान तो सुबह से लेकर शाम तक अपने खेत पर काम करता है फिर भी मतदान जरूर करता है। मतदान वहीं करने से बचते हैं जो पाश सोसायटी में रहते हैं। घर के पास बूथ होने के बाद भी लाइन में कौन लगे इस मानसिकता को बना मतदान करने से बचते हैं।

पहले की अपेक्षा अब तो मतदान केंद्रों पर सुविधा भी बढ़ गई हैं। हमारा सोच जब यह होगा कि पहले मतदान फिर जलपान। इस इच्छाशक्ति को जाग्रत कर लेंगे तो आप परिवार के साथ प्रचंड गर्मी में भी छाता लेकर मतदान करने पहुंच जाएंगे। आप अपने लिए ही देश की सरकार चुनने जा रहे हैं। इसके लिए एक-एक मत बहुमूल्य है। ये जानकारी हरियाणा प्रदेश चुनाव आयुक्त धनपत सिंह से जागरण संवाददाता बलवान शर्मा से बातचीत पर आधारित है।

प्रचंड गर्मी को देंगे मतदान के उत्साह से पटखनी

25 मई को दिल्ली और हरियाणा-एनसीआर में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। यूपी-एनसीआर में विगत 26 अप्रैल को कम मतदान होने से दिल्ली और हरियाणा-एनसीआर में मतदान प्रतिशत कम रहने को लेकर चिंता बढ़ी है।

तेज गर्मी तो है ही, चिंता इसलिए और बढ़ गई है कि 25 मई को शनिवार है, ऐसे में बड़ी संख्या में लोग छुट्टियां मनाने अपने शहर से निकल जाते हैं। पिछले लोस चुनाव में विशेषकर दिल्ली में मतदान प्रतिशत अच्छा नहीं रहा है।

दिल्ली 

  • लोकसभा सीट : 07
  • मतदाता : 1,52,01,936
  • पहली बार वाले मतदाता : 2,52,038

दिल्ली में मतदान केंद्रों की संख्या 

  • कुल मतदान केंद्र 13,637
  • मतदान केंद्र लोकेशन- 2,623
  • अतिरिक्त मतदान केंद्र- 04
वर्ष देश में मतदान दिल्ली में मतदान
2009 58.13% 51.85%
2014 66.44% 65.10%
2019 67.4% 60.6%

चुनाव आयोग के विशेष प्रयास 

  • 14 जनवरी से 14 मार्च तक प्रमुख बाजारों, विभिन्न कालोनियों में ईवीएम व वीवीपैट प्रदर्शित कर उसका ट्रायल कराया गया ताकि लोगों का भरोसा बढ़ सके।
  • 22 जनवरी के बाद मतदाता सूची में अधिक से अधिक युवाओं को शामिल।करने के लिए अभियान चलाया गया, जिसका मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने दैनिक स्तर पर समीक्षा की।
  • 1003 स्कूलों और 119 कालेजों में चुनावी साक्षरता क्लब
  • 11,458 चुनाव पाठशाला और 192 मतदाता जागरूकता फोरम के कार्यक्रम हुए।
  • 15.76 लाख अभिभावकों से मतदान का संकल्प पत्र भरवाया।
  • 85 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों व 40% से अधिक दिव्यांग मतदाताओं को घर से मतदान की सुविधा।
  • 25 मई को वोट देने के बाद मतदान केंद्र से वापस घर आने के लिए बाइक टैक्सी का मतदाता इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • तापमान से मुकाबला करने को संबंधित विभागों को दिए निर्देश 
  • मतदान केंद्रों पर कूलर व पानी के फहारे वाले पंखों की होगी सुविधा।
  • टेंट व शेड लगाए जाएंगे।
  • वाटर कूलर व ठंडा पेयजल की व्यवस्था होगी।
  • केंद्रों पर ओआरएस को घोल, प्राथमिक इलाज की सुविधाएं उपलब्ध रहेंगे।

छुट्टी बाद में, मतदान पहले 

स्कूल, कॉलेज, अस्पतालों इत्यादि जगहों पर मतदाता जागरूकता कार्यक्रम कर पहले मतदान फिर कोई काम की अपील की गई।

राजनीतिक दलों के प्रयास

-चुनाव प्रचार, मैसेज, वाट्सएप मैसेज, सोशल मीडिया के माध्यम से मतदान की अपील। मतदाताओं के घर वोटर स्लिप पहुंचा रहे हैं।

तापमान 

  • 25 मई, 2024 : तापमान अनुमान : 46 डिग्री
  • 2014 : 33 डिग्री
  • 2019 : 39 डिग्री

गुरुग्राम

       वर्ष : मतदान प्रतिशत

  • 2009 : 60.77%
  • 2014 : 71.58%
  • 2019 : 67.33%
  • कुल मतदाता : 25,73,411
  • पहली बार वाले मतदाता : 77,329

फरीदाबाद 

       वर्ष : मतदान प्रतिशत 

  • 2009 : 56.66%
  • 2014 : 65.40%
  • 2019 : 64.12%
  • मतदाता : 24,36,637
  • पहली बार वाले मतदाता : 3,64,821

सोनीपत 

    वर्ष : मतदान प्रतिशत 

  • 2009 : 64.75%
  • 2014 : 69.55%
  • 2019 : 70.72%
  • मतदाता : 17,97,776
  • पहली बार वोटर : 16,000

गौतमबुद्ध नगर 

         वर्ष : मतदान प्रतिशत 

  • 2009 - 48.54%
  • 2014- 60.39%
  • 2019 -60.49%
  • मतदाता : 26,75,148
  • पहली बार वोटर : 41,477
  • 2024 में : 53.66% (दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को हुआ मतदान)

गाजियाबाद 

     वर्ष : मतदान प्रतिशत 

  • 2009 - 45.30%
  • 2014- 56.92%
  • 2019 -55.89%
  • मतदाता : 29,41,624
  • पहली बार वोटर : 25,748
  • 2024 में : 49.65% (दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को हुआ मतदान)

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