प्रारंभिक शिक्षा के लिए व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है : तुली मेकिनेन
दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन 2021 के दूसरे दिन फिनलैंड जर्मनी और भारत के विशेषज्ञों ने बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार करने पर पैनल चर्चा की। चर्चा का संचालन दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की प्राथमिक शिक्षा और पुस्तकालय शाखा प्रभारी मैथिली बेक्टर ने किया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन 2021 के दूसरे दिन फिनलैंड, जर्मनी और भारत के विशेषज्ञों ने बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार करने पर पैनल चर्चा की।
इस पैनल चर्चा में एक्शन फाॅर एबिलिटी डेवलपमेंट एंड इनक्लूजन की संस्थापक सदस्य डा दिव्या जालान, जर्मनी में वरिष्ठ व्याख्याता और रेगन्सबर्ग विश्वविद्यालय की सेबेस्टियन सुग्गेट, फिनलैंड की प्री स्कूल एजुकेटर तुली मेकिनेन ने भी हिस्सा लिया। इस चर्चा का संचालन दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की प्राथमिक शिक्षा और पुस्तकालय शाखा प्रभारी मैथिली बेक्टर ने किया।
बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और औपचारिक शिक्षा पर इस पैनल चर्चा में स्कूली शिक्षा शुरू करने की उम्र, पूर्व-शैक्षणिक और सामाजिक कौशल, सीखने के शुरुआती अंतराल को कम करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के अनुरूप स्कूलों को तैयार करके मजबूत बुनियाद रखना जैसे प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई। बच्चों की औपचारिक शिक्षा शुरू करने की उपयुक्त उम्र पर तुली मेकिनेन ने कहा कि फिनलैंड में सात साल की उम्र में बच्चे स्कूल जाने को तैयार किए जाते हैं।
वह बच्चें काफी प्रेरित महसूस करते हैं और पढ़ने और सीखने में काफी रुचि दिखाते हैं क्योंकि उन्हें पहले से ही आवश्यक सामाजिक और भावनात्मक कौशल दिए जा चुके होते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया उनके देश में पिछले 50 वर्षों से अपनाई जा रही हैं। मेकिनेन ने शिक्षक प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने का सुझाव देते हुए कहा कि शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में बाल व्यवहार के सभी पहलुओं के लिए तैयार रहना चाहिए। फिनलैंड में शिक्षक बच्चों का अवलोकन करते हैं, उनके पढ़ने और सीखने संबंधी क्रियाओं को ध्यान से देखते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा के लिए व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है। दिल्ली सरकार को प्रारंभिक शिक्षा पर सुझाव देते हुए मेकिनेन ने कहा कि शिक्षकों का अच्छा प्रशिक्षण और उन्हें प्रोत्साहित करना उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि कि खेल-आधारित शिक्षा को पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए। प्रो विनिता कौल ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के आधार पर दिल्ली सरकार को खास तौर पर प्रशिक्षित शिक्षकों का एक कैडर तैयार करके उन्हें स्कूल प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए।
डॉ. दिव्या जालान ने बच्चों की शिक्षा संबंधी विशेष आवश्यकताओं में अंतराल दूर करने संबंधी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चे के जीवन में शिक्षा और अनुभवों के अंतराल को समझना महत्वपूर्ण है। अनुभवों से उनकी समझ को आकार मिलता है। इसलिए शिक्षण तकनीकों को अधिक विविधतापूर्ण और रचनात्मक बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को कक्षाओं में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने पर काम करना चाहिए। सेबेस्टियन सुग्गेट ने कहा कि भारतीय परिवारों में अक्सर बच्चों को गीत और कहानियां सुनाने की परंपरा है। ऐसे अनुभव बच्चों को काफी प्रेरित करते हैं। चर्चा का समापन करते हुए पैनल ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को सलाह दी कि सरकार मजबूत शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करें, शिक्षकों को प्रोत्साहित करें और खासकर इस डिजिटल युग में बच्चों को अपना पर्यावरण महसूस करने योग्य बनाएं।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो