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Delhi: AFT के फैसले के खिलाफ HC में अपील करने का नहीं कोई प्रविधान, सिर्फ SC में का जा सकती है अपील- दिल्ली HC

आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) के निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि AFT अधिनियम के तहत इसके किसी भी अंतिम निर्णय या आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट जैसे किसी अन्य मंच के समक्ष अपील करने का कोई प्रविधान नहीं है।

By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunPublished: Mon, 17 Oct 2022 03:25 PM (IST)Updated: Mon, 17 Oct 2022 03:25 PM (IST)
Delhi: AFT के फैसले के खिलाफ HC में अपील करने का नहीं कोई प्रविधान, सिर्फ SC में का जा सकती है अपील- दिल्ली HC
AFT के फैसले के खिलाफ HC में अपील करने का नहीं कोई प्रविधान- दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) के निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि AFT अधिनियम के तहत इसके किसी भी अंतिम निर्णय या आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट जैसे किसी अन्य मंच के समक्ष अपील करने का कोई प्रविधान नहीं है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने कहा कि एएफटी के पास हाई कोर्ट के समान अधिकार हैं और इसके खिलाफ कोई भी अपील हाई कोर्ट के समक्ष नहीं हो सकती है।

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इस टिप्पणी के साथ पीठ ने एएफटी के अंतिम निर्णय को चुनौती देने वाली मेजर निशांत कौशिक की याचिका को आधारहीन बताया। साथ ही मेजर कौशिक को एएफटी के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

पीठ ने कहा कि एएफटी अधिनियम की धारा-31 के अनुसार, एएफटी द्वारा दिए गए सभी अंतिम निर्णय व आदेशों को तीस दिनों के भीतर सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करने का प्रविधान है। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए इस संबंध में मार्च-2022 में विंग कमांडर श्याम नैथानी बनाम भारत सरकार व अन्य के मामले में न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ द्वारा लिए गए इसी तरह के रुख से सहमति व्यक्ति की।

पीठ ने इसके साथ ही स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट के समक्ष एएफटी के अंतिम निर्णय या आदेश की अपील का दायरा अत्यंत सीमित है और न्यायिक समीक्षा की शक्ति तक सीमित है। इसका प्रयोग केवल निर्णय लेने की प्रक्रिया की जांच करते समय किया जाना है या जब यह केवल अधिकार क्षेत्र की त्रुटियों को ठीक करने के लिए हस्तक्षेप करने का मामला हो।

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ऐसे में आमतौर पर ट्रिब्यूनल के अंतिम निर्णय या आदेश से कोई अपील हाई कोर्ट के समक्ष नहीं की जा सकती है। अदालत ने यह भी नोट किया कि अधिनियम की धारा-34 के अनुसार, एएफटी की स्थापना की तारीख से ठीक पहले किसी भी हाई कोर्ट या अन्य मंचों के समक्ष सभी लंबित मामले इसके गठन के बाद ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित कर दिए गए थे।


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