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जन-गण-मन के समान वंदे मातरम गीत को भी दिया जाए सम्मान, दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Delhi News सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिका पर सुनवाई से पहले इसे मीडिया में देने पर याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से नाखुशी जाहिर की है। पीठ ने कहा कि क्योंकि उपाध्याय जनता से जुड़े मामले उठाते हैं।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 11:49 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 11:49 AM (IST)
वंदे मातरम को दिया जाए जन गण मन के समान दर्जा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वंदे मातरम को राष्ट्रगान जन गण मन के समान दर्जा देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह के अंदर याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिका पर सुनवाई से पहले इसे मीडिया में देने पर याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से नाखुशी जाहिर की है। पीठ ने कहा कि क्योंकि उपाध्याय जनता से जुड़े मामले उठाते हैं इसलिए अदालत मामले पर विचार करेगी।

अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा कि वंदे मातरम ने भारत की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में वंदे मातरम को भी जन गण मन के समान सम्मान दिया जाए। साथ ही उन्होंने वंदे मातरम व जन गण मन सभी स्कूलों व शैक्षिक संस्थानों में हर दिन बजाने व गाने के संबंध निर्देश देने की भी मांग की है।

सिफारिशें लागू करें या अवमानना की कार्रवाई को तैयार रहें: हाई कोर्ट

उधर, निजी अस्पतालों में कार्यरत नर्सो के वेतन और काम करने की स्थिति के संबंध में की गई सिफारिशों को लागू नहीं करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी कि सिफारिशों पर अगली सुनवाई से पहले अनुपालन नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें।

पीठ ने इसके साथ ही संबंधित अधिकारी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।भारतीय पेशेवर नर्सो की अवमानना याचिका पर विचार करते हुए पीठ ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि दिल्ली सरकार सुनवाई की अगली तारीख से पहले 22 जुलाई 2019 के आदेश का अनुपालन करेगी। पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिवक्ता को इस मामले पर सरकार से निर्देश लेने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।


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