नई दिल्ली, एएनआई। सरकार सरकारी यह सुनिश्चित करेगी कि अस्पतालों में खाली पदों को जल्द भरा जाएं। यह टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट ने की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 जनवरी को अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के संबंध में केंद्र और दिल्ली सरकार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए और समय देते हुए कहा है।
कोर्ट ने सरकार को दिया समय
जस्टिस सतीश चंदर शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र और एनसीटी दिल्ली सरकार को चार और सप्ताह का समय दिया और मामले को 12 अप्रैल, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया।
बेंच ने कहा, "सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अस्पतालों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाए।" बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही केंद्र, दिल्ली सरकार सहित अन्य लोगों को सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टॉफ की नियुक्ति करने का निर्देश दिया था।
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स्टॉफ की कमी से लोगों को दिक्कत
याचिकाकर्ता डॉ नंद किशोर गर्ग ने वकील शशांक देव सुधी के माध्यम से कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी हो गई है, जो हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती जा रही है। बुनियादी ढांचे सहित डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी के कारण निर्दोष और गरीब रोगियों को उनके इलाज से वंचित किया जा रहा है।
निजी अस्पताल दुर्दशा का उठा रहे फायदा
डॉक्टरों या पैरामेडिकल स्टाफ की अनुपलब्धता के कारण आम लोग पीड़ित हैं। याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पताल असहाय मरीजों की दुर्दशा का अवैध फायदा उठा रहे हैं। ऐसे कई मामले हैं जहां सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की कमी का हवाला देकर मरीज को निजी अस्पतालों में रेफर कर रहे हैं।
जाहिर है कि सरकारी अस्पताल कोरोना वायरस की हालिया महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि रोगियों को बेहतर चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए समग्र ढांचागत सुधार आवश्यक है।
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