Delhi: खुदकुशी करने वाले विचाराधीन कैदी के स्वजनों को दिल्ली सरकार दे 3 लाख रुपये की मदद राशि
आयोग का कहना है कि यदि जेल प्रशासन ने कैदी पर पूरी नजर रखी होती तो शायद खुदकुशी की यह घटना नहीं होती। जेल प्रशासन अपने दायित्व को निभाने में नाकामयाब रहा। दिनदहाड़े खुदकुशी की यह घटना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। मानवाधिकारयों के उल्लंघन का मामला है।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी के खुदकुशी से जुड़े मामले में अपने पूर्व के प्रस्ताव को दोहराते हुए दिल्ली सरकार को मृतक के स्वजन को तीन लाख रुपये की सहायता राशि देने को कहा है। आयोग का कहना है कि यदि जेल प्रशासन ने कैदी पर पूरी नजर रखी होती तो शायद खुदकुशी की यह घटना नहीं होती। लेकिन जेल प्रशासन अपने दायित्व को निभाने में नाकामयाब रहा। दिनदहाड़े खुदकुशी की यह घटना जेल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। यह मानवाधिकारयों के उल्लंघन का मामला है।
बता दें कि तिहाड़ जेल संख्या तीन में 11 मई 2018 को खुदकुशी का यह मामला सामने आया था। जिस कैदी ने खुदकुशी की थी वह दुष्कर्म व पास्को से जुड़े मामले में आरोपित था। उसके खिलाफ सरिता विहार थाने में मामला दर्ज कराया गया था। आरोपित को जेल में एक महीने से भी कम समय हुआ था। इस मामले पर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया था।
मामले पर चली सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन की ओर से आयोग को बताया गया कि आरोपित ने जेल परिसर में स्थित एक पेड़ पर फंदा लगा खुदकुशी की थी। मामले की मजिस्ट्रेट जांच के दौरान कहा गया कि दिनदहाड़े आरोपित ने पेड़ की शाखा पर कपड़े की मदद से फंदा बनाया और फांसी लगा ली। जैसे ही मामला जेलकर्मियों व कैदियों के संज्ञान में आया उसे जेल के अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
इससे पहले भी जेल में सुसाइड के कई मामले हुए हैं जिसमें लापरवाही पहले भी सामने आ चुकी है। थाने, चौकियों और जेल कैंपस में कैदियों की मौत के पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। कोर्ट इस तरह के मामलों को लेकर पहले से गंभीर है।
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