Kisan Tractor Rally: दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली का कांग्रेस करेगी स्वागत
अनिल चौधरी ने कहा कि यदि कृषि कानून को मौजूदा स्वरूप में ही लागू किया गया तो सम्पूर्ण कृषि उत्पादों को भाजपा सरकार के सहयोग से चुनिंदा कॉर्पोरेट्स द्वारा खरीदकर बेचा जाएगा। इसीलिए किसान परेशान हैं और अपना दर्द बयां करने के लिए यह ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली ट्रैक्टर रैली का प्रदेश कांग्रेस जगह जगह मंच बनाकर स्वागत करेगी। प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी स्वयं भी किसी एक प्वाइंट पर किसानों के समर्थन में कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर ट्रैक्टर रैली का स्वागत करेंगे। मुंडका में सुबह साढ़े 11 से 12 बजे का स्वागत कार्यक्रम रखा गया है।
अनिल चौधरी ने कहा कि यदि कृषि कानून को मौजूदा स्वरूप में ही लागू किया गया तो सम्पूर्ण कृषि उत्पादों को भाजपा सरकार के सहयोग से चुनिंदा कॉर्पोरेट्स द्वारा खरीदकर बेचा जाएगा। इसीलिए किसान परेशान हैं और अपना दर्द बयां करने के लिए यह ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं। उन्होंने फिर दोहराया कि कांग्रेस किसानों की लड़ाई में पूरी तरह उनके साथ है और जब तक तीनों कृषि कानून रद नहीं किए जाते, तब तक किसानों को समर्थन जारी रखेगी।
वहीं वरिष्ठ पार्टी नेता डा. नरेश कुमार ने कहा कि हमारे देश के किसान पिछले करीब साठ दिनों से अपनी मांगों को लेकर सड़क पर बैठे हैं। कंपकंपाती ठंड में लगातार दम तोड़ रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। हमें मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए एकजुट होकर किसानों का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि उन्हें किसानों के बारे में जरूर सोचना चाहिए। प्रधानमंत्री को चाहिए कि किसानों की समस्या का जल्द से जल्द निवारण करें जिससे देश में पुनः सुख शांति व समृद्धि आए।
अब एक फरवरी को संसद तक पैदल मार्च करेंगे किसान
वहीं, नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर आंदोलनरत किसान गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने के बाद एक फरवरी को संसद तक पैदल मार्च करेंगे। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार का इसका एलान किया है। हालांकि पैदल मार्च की रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है, लेकिन अगले एक दो दिनों में इस बारे में विस्तार से जानाकरी दी जाएगी।
आंदोलनरत किसान संगठन कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े हुए हैं। जबकि केंद्र सरकार ने इनके समक्ष तीनों कृषि कानूनों को 18 माह तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव रखा है। केंद्र सरकार से किसान संगठनों के साथ कई दौर में हुई वार्ता का अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आ सका है और केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को सिरे से नकार दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार पर दबाब बनाने की रणनीति के तहत ट्रैक्टर परेड के बाद अब संसद मार्च की घोषणा की गई है।
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