नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। साल 2020 के फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के संबंध में दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में लगाए गए आरोपों को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को निर्णय सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने ताहिर व ईडी की दलीलें सुनने के बाद दोनों पक्षों को दो दिनों के भीतर तीन पेज में लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। ताहिर हुसैन के खिलाफ हाल ही में कड़कड़डूमा कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा-तीन के तहत आरोप तय किए थे, जो अधिनियम की धारा-चार के तहत दंडनीय है।
दंगे में 50 से ज्यादा लोगों ने गंवाई थी जान
गौरतलब है कि दो साल पहले साल 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हुए दंगों के 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे। सैकड़ों करोड़ की संपत्तियों का नुकसान हुआ था। दंगों के दौरान उन्मादी भीड़ ने स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप और ट्रक में आग लगा दी थी। भीड़ ने 2 सरकारी कर्मचारियों को भी मार डाला था।
ताहिर हुसैन पर दंगा भड़काने का आरोप
आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और 7 अन्य आरोपियों के खिलाफ दिल्ली दंगे में कथित तौर पर हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश और गैरकानूनी तरीके से जमा होने के आरोप हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि आरोपी दूसरे लोगों को हिंदुओं को सबक सिखाने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए उकसा रहे थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने ताहिर हुसैन, उसके भाई शाह आलम, नाजिम, कासिम, रियासत, लियाकत, गुलफाम और तनवीर पर हत्या के प्रयास, साजिश व गैर कानूनी रूप से भीड़ जमा करने का आरोप तय किया है।
Delhi Riots: ताहिर हुसैन समेत सात के खिलाफ आरोप तय, कोर्ट ने कहा- सभी ने भीड़ को उकसाने का काम किया