डीडीए ने नहीं दिया पानी तो कम होगी दिल्ली में हरियाली, 20 फीसद पेड़ सूखने की कगार पर पहुंचे
सिंचाई के लिए डीडीए से पानी मांग रहे हैं अगर डीडीए ने पानी नहीं दिया तो यहां पर यह संतुलन जरूर गड़बड़ा सकता है। वहीं इस मसले पर डीडीए अधिकारियों का कहना है कि यह प्लॉट कमर्शियल उपयोग के लिए है। यहां पर जबरदस्ती पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है।
नई दिल्ली, बिरंचि सिंह। द्वारका एक्सप्रेस वे निर्माण कार्य के दौरान ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की हालत लॉकडाउन के दौरान और पतली हो गई। पानी नहीं मिलने के कारण ये पेड़ सूखने लगे, लेकिन अनलॉक के बाद स्थिति में सुधार आया और सिंचाई के बाद पेड़ों पर हरियाली छाने लगी है। 80 फीसद पेड़ अभी भी जीवित हैं।
एक वर्ष पूर्व द्वारका के सेक्टर 11, सेक्टर 19, सेक्टर 23 और सेक्टर 24 में 38 सौ पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया था। लॉकडाउन के दौरान पेड़ों के ट्रांसप्लांट का कार्य रुकने व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देश के बाद खोदाई के काम पर लगे प्रतिबंध के बाद पेड़ों के ट्रांसप्लांट में बाधा आई। इस दौरान बदलते मौसम में इन पेड़ों को बचाना मुश्किल भरा रहा।
अनलॉक के बाद पेड़ों को मिला पानी
अनलॉक के बाद इन पेड़ों को पानी दिया गया, जिससे अब हरियाली छाने लगी है। वहीं, डेढ़ माह पहले द्वारका एक्सप्रेस-वे से 250 पेड़ों को हटाकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के द्वारका सेक्टर 10 के एक प्लाट में ट्रांसप्लांट किया गया था, लेकिन पानी की कमी से अधिकांश पेड़ मुरझाने लगे हैं। अगर इन्हें पानी नहीं दिया गया तो इन पेड़ों के सूखने तक की नौबत आ सकती है।
फिलहाल 80 फीसद पेड़ बचे हैं
डीडीए इन पेड़ों की सिंचाई करने से लगातार इन्कार कर रहा है और साथ ही यहां से पेड़ों को स्थानांतरित करने का दवाब भी बना रहा है। अगर यहां से पेड़ों को हटाया गया तो इन पेड़ों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
दैनिक जागरण से बातचीत में जेकुमार कंपनी के उप-परियोजना अधिकारी ओएस सिरोही ने कहा कि मानसून के पहले और मानसून के बाद ज्यादा ठंड और ज्यादा गर्मी होने की वजह से कुछ पेड़ों को नहीं बचाया जा सका। फिर भी सौ फीसद पेड़ों में 80 फीसद पेड़ हरे हो गए हैं। 20 फीसद सूख गए। अभी तक 80:20 का यह संतुलन बना हुआ है, लेकिन सेक्टर 10 में जिन पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है। उसकी सिंचाई के लिए डीडीए से पानी मांग रहे हैं अगर डीडीए ने पानी नहीं दिया तो यहां पर यह संतुलन जरूर गड़बड़ा सकता है। वहीं, इस मसले पर डीडीए अधिकारियों का कहना है कि यह प्लॉट कमर्शियल उपयोग के लिए है। यहां पर जबरदस्ती पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है। डीडीए पानी नहीं देगा।
पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए शीशम, नीम व पीपल के साथ ही फलदार पेड़ में अमरूद, बक्सा बनाने के तौर पर इस्तेमाल होनेवाले सख्त लकड़ी के तौर पर उपयोग होनेवाले पॉलोनिया के पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया। फाइकस, स्कारलेट बुश जैसे औषधीय पेड़ भी ट्रांसप्लांट किए गए। फाइकस का उपयोग डायबिटिज, लीवर, श्वास संबधी बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। स्कारलेट बुश के पत्ते का उपयोग डायरिया, बुखार, चर्मरोग और मासिक धर्म से संबंधित बीमारियों को दूर करने में उपयोग किया जाता है।
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