Unnao Case: उन्नाव से दिल्ली ट्रांसफर किया जाए दुष्कर्म पीड़िता की उम्र का केस- स्वाति मालीवाल
दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता के उम्र को लेकर दर्ज केस को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की है। दिल्ली में मुकदमें का सामना करने के लिए तैयार है लेकिन सुरक्षा कारणों से वह उन्नाव नहीं जाना चाहती है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता के उम्र को लेकर दर्ज केस को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की है। आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि मामले में आरोपित एक व्यक्ति के पिता द्वारा दायर आवेदनों के बाद उन्नाव अदालत द्वारा पीड़िता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। जबकि पीड़िता उसके खिलाफ दिल्ली की अदालत में गवाही दे रही है।
उन्होंने कहा कि पीड़िता ने आयोग से मदद की गुहार लगाई है और कहा है कि वो दिल्ली में मुकदमें का सामना करने के लिए तैयार है, लेकिन सुरक्षा कारणों से वह उन्नाव नहीं जाना चाहती है। स्वाति ने कहा कि मामले में वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर से कानूनी मदद मांगी गई है।
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ये था मामला
उन्नाव की नाबालिग सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता, जिसने तत्कालीन विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। अगस्त 2019 में उसकी दुर्घटना के बाद उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर निर्देश दिया था कि मामले में संबंधित चार एफआइआर की जांच को उत्तर प्रदेश पुलिस से सीबीआई और संबंधित मुकदमों को नई दिल्ली स्थानांतरित किया जाए।
जिसके दिल्ली की सेशन कोर्ट ने आरोपित कुलदीप सेंगर को भारतीय दंड संहिता और पाक्सो एक्ट के तहत दुष्कर्म का दोषी करार दिया था। साथ ही पीड़िता के पिता की हत्या का भी दोषी ठहराया गया था, जिसमें स्थानीय पुलिस भी दोषी पाई गई थी।
अब इस मामले में आरोपित शुभम सिंह के पिता हरिपाल सिंह ने दिसंबर 2018 में, उन्नाव में पीड़िता के स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के संबंध में पीड़िता, उसकी मां और चाचा के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसका दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने खंडन किया था और कुलदीप सेंगर को दिसंबर 2019 में दुष्कर्म का दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
दो अगस्त 2022 को शिकायतकर्ता ने पीड़िता के खिलाफ दर्ज एफआइआर में उन्नाव में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए एक आवेदन दिया, जिसे अनुमति दे दी गई। जिसके बाद पीड़िता ने आयोग से मदद मांगी है।