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Covid Vaccine for Kids: मोटापे, ब्लड प्रेशर व मधुमेह से पीड़ित बच्चों को टीकाकरण में मिल सकता है वरीयता

टीके की कोई कमी नहीं है फिर भी जोखिम वाले लोगों की वरियता तय करनी पड़ेगी। वरना टीकाकरण का अभियान लक्ष्य से भटक सकता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को यह समझाना होगा कि बीमारियों से पीड़ित बच्चों को पहले टीका देना जरूरी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 10:08 PM (IST)
डाक्टर बाले कि अभी हर बच्चों को टीका लगना नहीं होगा तर्क संगत।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Covid Vaccine for Kids: बच्चों के टीकाकरण का रास्ता भी साफ होता दिख रहा है। खास तौर पर कोवैक्सीन को बच्चों के टीकाकरण के लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा संस्तुति मिलने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही बच्चों को कोरोना का टीका देने का काम शुरू होगा। इस बीच डाक्टरों का कहना है कि कोवैक्सीन की उपलब्धता की मौजूदा स्थिति के अनुसार दो से 18 साल की उम्र के हर बच्चों को अभी टीका लगाना तर्क संगत नहीं होगा।  इसलिए मोटापे, ब्लड प्रेशर, मधुमेह व विभिन्न बीमारियों से पीड़ित बच्चों को पहले टीका लगाया जाना चाहिए। इस बाबत इंडियन एसोसिएशन आफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आइएपीएसएम) ने सरकार से सिफारिश भी की है।

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टीकाकरण अभियान से जुड़े विशेषज्ञ भी बीमारियों से पीड़ित बच्चों को टीकाकरण में वरीयता  की बात करते रहे हैं। लिहाजा, उन बच्चों को पहले टीका लग सकता है। हालांकि, बच्चों के टीकाकरण की घोषणा होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।

आइएपीएसएम की अध्यक्ष डा. सुनीला गर्ग ने कहा कि देश में करीब 96 करोड़ डोज टीका लगा चुका है। जिसमें से करीब 11 करोड़ डोज कोवैक्सीन की लगी है। देश में करीब 18 साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी करीब 39 करोड़ बच्चे हैं। इन सभी बच्चों के टीकाकरण के लिए 78 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी। इसलिए सभी बच्चों को जल्दी टीका लगा पाना आसान नहीं होगा। वैस भी 18 साल से अधिक उम्र के करीब 93 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए अभी 90 करोड़ डोज टीके की जरूरत है।

यह सही है कि अब टीके की कोई कमी नहीं है फिर भी जोखिम वाले लोगों की वरियता तय करनी पड़ेगी। वरना टीकाकरण का अभियान लक्ष्य से भटक सकता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को यह समझाना होगा कि बीमारियों से पीड़ित बच्चों को पहले टीका देना जरूरी है। क्योंकि, यह देखा गया है कि स्वस्थ बच्चों में कोरोना ज्यादा घातक नहीं है। इसका कारण यह है कि बच्चों में एसीई2 (एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम-2) रिसेप्टर बहुत कम होते हैं। एसीई2 रिसेप्टर के साथ ही चिपक कर कोरोना वायरस फेफड़े को अधिक संक्रमित करता है।

बच्चों में यह रिसेप्टर बहुत कम होने से उन पर कोरोना का ज्यादा असर नहीं पड़ता लेकिन मोटापे, ब्लड प्रेशर व मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए मुश्किलें हो सकती है। एसोसिएशन के माध्यम से सरकार को यह सलाह भी दी गई है कि बच्चों का टीकाकरण होने पर भी स्कूलों में बचाव के नियमों का पालन जरूरी है।

कोवैक्सीन के ट्रायल में शामिल रहे एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के विशेषज्ञ डा. संजय राय ने कहा कि ट्रायल में बच्चों के लिए भी टीका की डोज वयस्कों के बराबर रखी गई थी। लेकिन बच्चों का टीकाकरण शुरू होने पर यह देखना जरूरी है कि किन बच्चों को इसकी ज्यादा जरूरत है। वैसे भी सीरो सर्वे यह साबित हो चुका है कि देश में करीब 27 करोड़ बच्चों को कोरोना का संक्रमण हुआ लेकिन किसी को पता नहीं चला, क्योंकि उनमें बीमारी ज्यादा नहीं गंभीर होती।


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