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चार हजार रुपये की रिश्वत के मामले में 24 साल बाद आया कोर्ट का फैसला

4000 रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में 24 साल बाद बिक्री कर विभाग में सहायक आयुक्त-5 (अपील) पीसी मिश्र को दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए बरी कर दिया। न्यायमूर्ति की पीठ ने कहा कि रिश्वत लेने के मामले में बरामदगी ही सीधा सुबूत होती है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 04:10 PM (IST)
चार हजार रुपये की रिश्वत के मामले में 24 साल बाद आया कोर्ट का फैसला
चार हजार रुपये की रिश्वत के मामले में 24 साल बाद आया कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। चार हजार रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में 24 साल बाद बिक्री कर विभाग में सहायक आयुक्त-5 (अपील) पीसी मिश्र को दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए बरी कर दिया। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट की पीठ ने कहा कि रिश्वत लेने के मामले में बरामदगी ही सीधा सुबूत होती है। रिश्वत मांगने व स्वीकार करने से जुड़ी बरामदगी इसे बिना संदेह के साबित कर सकती है। केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने साफ कहा है कि उन्हें पीसी मिश्र के पास से कोई बरामदगी नहीं हुई है। ऐसे में रिश्वत की मांग और इसे लेना संदेह के घेरे में है। निचली अदालत ने साक्ष्यों को अनदेखा किया है।

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महिला को मारी गोली, गिरफ्तार

वहीं, दक्षिणी दिल्ली के बदरपुर थाना पुलिस ने आपसी रंजिश में महिला को गोली मारने वाले आरोपित को गिरफ्तार किया है। आरोपित की पहचान शिवम उर्फ शिब्बू के रूप में की गई है। आरोपित के पास से तमंचा और कारतूस बरामद किए गए हैं। पुलिस उपायुक्त राजेंद्र प्रसाद मीणा ने बताया कि 16 जनवरी को बदरपुर थाना क्षेत्र में एक महिला को पैर में गोली मारने की सूचना मिली। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस को घायल महिला ने बताया कि शिवम नाम के व्यक्ति ने उसे गोली मार दी और फरार हो गया है। पुलिस ने महिला को अस्पताल में भर्ती कराया और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि साल 2018 में शिब्बू की बहन की मौत हो गई थी, जिसमें शिब्बू महिला को दोषी मानता था। 

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