Coronavirus News: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर कर चुनौतियों का कर सकते हैं सामना
कोरोना ने यह भी सीख दे दी है कि देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करना है तो स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना होगा। इसलिए बजट आवंटन में स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना होगा। रअसल स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था एक-दूसरे के पूरक हैं। हम सब को इसे समझना होगा।
पूर्व दिल्ली, स्वदेश कुमार। बीते वर्ष मार्च माह में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी थी। इसके बाद हमने लाकडाउन देखा। मास्क लगाना शुरू किया। लोगों के साथ शारीरिक दूरी रखने लगे। अपने हाथों को सैनिटाइज करने लगे या साबुन से बार-बार धोने लगे। कोशिश यही थी कि कैसे भी संक्रमण किसी तरह थम जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां, इन सब के बीच सरकार को कुछ समय अवश्य मिल गया, जिसमें हम महामारी से लड़ने के लिए सशक्त रूप से खुद को तैयार कर सके।
कोरोना अधिकृत अस्पताल बन गए। मास्क का उत्पादन होने लगा। वेंटिलेटर को लेकर देश आत्मनिर्भर हो गया। हम कह सकते हैं कि वर्ष 2020 कोरोना की मार के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए व्यापक सुधार बदलाव का भी गवाह बना। और अब कोरोना को पटखनी देने वाली वैक्सीन के साथ वर्ष 2021 में प्रवेश कर चुके हैं। अभी पूर्वाभ्यास का दौर है, चंद दिन में टीका लगना भी शुरू हो जाएगा। इसी बीच देखिये दिल्ली-एनसीआर में संक्रमण की दर में भी लगातार तेजी से गिरावट आ रही है।
लेकिन एक बात तो है कि इस कोरोना काल ने हमारे जीवन में, जीवनशैली में जो बदलाव किए हैं, उन्हें हमें अपनी दिनचर्या में बनाए रखना होगा, उसे पूंजी की तरह संजोकर साथ लेकर चलना होगा। भले हम वर्ष 2020 से 2021 में प्रवेश कर गए हैं लेकिन बीते वर्ष ने चुनौतियों के बीच हमें जैसे डटकर खड़े रहना सिखाया, मजबूत रीढ़ दी उसे अलविदा कहने का समय नहीं है। इनके साथ तो अभी हमें कम से कम इस वर्ष को तो गुजारना ही होगा। यह जरूर है कि इसमें कुछ शिथिलता आ सकती है या कुछ और सुधार किए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर कर चुनौतियों का कर सकते हैं सामना : कोरोना जब देश में आया था तो हमारे पास इससे निपटने के उपाय नहीं थे, पर आज इसकी हर चाल का जवाब हमारे पास है। फिर भी अगर भविष्य में लाकडाउन जैसी स्थिति बन जाए तो हमें उसके लिए भी तैयार रहना चाहिए। अब कंटेनमेंट जोन को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, क्योंकि अब हमें पता है कि कंटेनमेंट जोन में कितने दिनों तक कैसी मूलभूत चीजों की जरूरत होती है।
[डा. अजीत जैन नोडल अधिकारी (कोरोना मामले), राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल]
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