Delhi: लॉटरी प्रक्रिया से ही पार्कों के रखरखाव का मिलेगा ठेका, डीडीए ने शुरू की प्रक्रिया
डीडीए की लॉटरी की प्रक्रिया पूरी होने तक ठेकेदारों को बार बार डीडीए के अधिकारियों के दिशा निर्देश का इंतजार करना पड़ता है। ठेकेदारों को आवेदन करने से लेकर रेट डालने और लॉटरी निकलने की तिथि की घोषणा डीडीए के अधिकारी करते हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दो साल पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) भी पार्कों के रख रखाव का ठेका देने के लिए ठेकेदारों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता था। लेकिन पिछले दो वर्षों से ऑनलाइन आवेदन करने के बजाए ठेकेदारों को डीडीए के कार्यालय में आकर आवेदन करना पड़ता आवेदक ठेकेदारों को कामगारों को रखने के लिए एक ही रेट डालना पड़ता है। फिर उनके नामों की पर्ची डाली जाती है। जिस ठेकेदार के नाम की पर्ची निकलती है। उसे ठेका दे दिया जाता है। इन दिनों दिल्ली विकास प्राधिकरण रोहिणी और द्वारका के पार्कों के रखरखाव का ठेका देना की प्रक्रिया फिर शुरू हो चुका है। इससे अधिकांश ठेकेदार सहमत नहीं दिख रहे हैं वहीं डीडीए का बागवानी विभाग इस चयन प्रक्रिया को सही ठहरा रहा है।
डीडीए की लॉटरी की प्रक्रिया पूरी होने तक ठेकेदारों को बार बार डीडीए के अधिकारियों के दिशा निर्देश का इंतजार करना पड़ता है। ठेकेदारों को आवेदन करने से लेकर रेट डालने और लॉटरी निकलने की तिथि की घोषणा डीडीए के अधिकारी करते हैं। जिन ठेकेदारों को लॉटरी के माध्यम से काम मिल जाता है वो अपने आपको भाग्यशाली मानता है जिसे काम नहीं मिलता वह अपने भाग्य को कोसता रहता है। चूंकि, ठेकेदारों में आपसी स्पर्धा नहीं होती इसलिए डीडीए को राजस्व भी नहीं मिलता।
डीडीए द्वारका में बागवानी विभाग के उप-निदेशक सहीराम विश्नोई का कहना है कि लॉटरी प्रणाली पिछले दो साल से लागू है। इसमें अभी तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन्होंने यह भी कहा कि चूंकि, दिल्ली के कामगारों को न्यूनतम दिहाड़ी देनी होती है इसलिए ठेकेदारों को उतनी ही राशि का जिक्र आवेदन में करना होता है। इसलिए एक निश्चित राशि भरने को कहा जाता है। ठेकेदारों को इतनी ही दीहाड़ी पर कामगारों से काम लेना होता है। ठेकेदारों को काम कराने के एवज में अलग से रकम दी जाती है। जो ठेके का 15 फीसद होता है। सहीराम विश्नोई का कहना है कि यह राजस्व वसूली का जरिया नहीं है। अधिकारियों के समक्ष कार्यालय में वीडियों रिकार्डिंग होती है। कोई ठेकेदार आए या न आए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लॉटरी में पूरी पारदर्शिता होती है।
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