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Boycott China Campaign: चीन को भारतीय बाजार से लगने वाला है एक और झटका

Boycott China Campaign चीना राखियों की तुलना में स्वदेशी राखियां 30 फीसद महंगी पड़ रही हैं लेकिन इसके बावजूद लोग जमकर खरीद रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 09:04 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 09:04 AM (IST)
Boycott China Campaign: चीन को भारतीय बाजार से लगने वाला है एक और झटका
Boycott China Campaign: चीन को भारतीय बाजार से लगने वाला है एक और झटका

नई दिल्ली [राहुल सिंह]।  Boycott China Campaign: चीन से चले आ रहे विवाद के बीच रक्षा बंधन के मौके पर भाईयों की कलाई पर बांधे जाने वाले रक्षा सूत्र के जरिये बहनें चीन के व्यापार पर प्रहार करेंगी। इस वर्ष दिल्ली समेत पूरे देश में चीन की बनी राखियों के बजाय कोलकाता, जयपुर और महाराष्ट्र से आईं राखियां भाईयों की कलाई पर सजेंगी। दिल्ली के सदर बाजार और पुरानी दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि चीन की राखियों का बहिष्कार किया गया है। पूरे देश में भारतीय राखियां की सप्लाई की जा रही है। इसके कारण राखियों के दाम में 30 से 40 फीसद की बढ़ोतरी भी हुई हैं।

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दिल्ली के सदर बाजार और पुरानी दिल्ली के किनारी बाजार के व्यापारियों का कहना है कि हर साल चीन की राखियां पूरे देश में सप्लाई की जाती थी, लेकिन इस साल चीन के सामान का व्यापारियों ने पूरी तरह से बहिष्कार किया हुआ है। किनारी बाजार के व्यापारी राकेश सुलतानियां ने बताया कि इस साल कोलकाता और महाराष्ट्र की बनी राखियां बाजार में आई हैं, जो पूरे देश के छोटे व्यापारियों और दुकानदारों तक सप्लाई की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि चीन की राखियां में लगा धागा और अन्य डिजाइन स्वदेशी राखियों के मुकाबले थोड़ा सस्ता पड़ता था।

लोग खरीद रहे स्वदेशी राखियां

स्वदेशी राखियां 30 फीसद महंगी पड़ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग जमकर खरीद रहे हैं। सदर बाजार में राखियों का व्यापार करने वाले प्रदीप गोयल ने बताया कि हर साल सदर बाजार से करोड़ों रुपये की राखियां पूरे देश में सप्लाई होती हैं। चीन की राखियों का पूरी तरह से बहिष्कार किया गया है, जिनके स्थान पर जयपुर, कोलकाता और महाराष्ट्र की राखियां बेची जा रही हैं।

स्वदेशी राखियों का धागा नहीं छोड़ता

रंगव्यापारियों का कहना है कि चीन की बनी राखियों में डाई किया हुआ धागा प्रयोग किया जाता है, जो तुरंत रंग छोड़ने लगता है। इससे कई बार लोगों के कपड़े खराब हो जाते थे, लेकिन भारतीय राखियों में प्रयोग होने वाला धागा रंग नहीं छोड़ता है।

राखियों की कीमत में आया उछाल

सदर बाजार के व्यापारी सुदेश शर्मा ने बताया कि हर साल माल दिल्ली तक पहुंचने में दिक्कत नहीं होती थी, लेकिन इस साल लॉकडाउन होने के कारण कारीगरों को राखियां बनाने में दिक्कत हुई है। इसके अलावा बाहरी राज्यों से माल दिल्ली तक पहुंचने में भी देरी हुई। इसके कारण राखियों की कीमत में 30 से 40 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। तीन से पांच रुपये वाली राखियां सात से आठ रुपये तक की बिक रही हैं।

बता दें कि 15-16 जुलाई की रात को भारत-चीनी सैनिकों के बीच भिड़ंत में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद देशभर में चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर मुहिम चल रही है। भारत सरकार ने भी पिछले दिनों 59 चीनी ऐप बैन कर दिए, जिनमें देश में सर्वाधिक चर्चित ऐप टिकटॉक भी शामिल है।

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