नियमों को तोड़-मरोड़, सड़कों पर फर्राटा भर रहे ओवरलोड वाहन; इन रास्तों पर है चेकिंग की जरूरत
ट्रक व टेंपो में क्षमता से अधिक सामान भरा जाता है। ट्रैक्टर ट्रॉली में पीछे की तरफ छह से आठ फीट तक सरिया गाटर व पाइप बाहर लटकते रहते हैं। बावजूद इसके चालक ओवरलोड वाहनों को काफी तेज दौड़ाते हैं।
नई दिल्ली, सोनू राणा। दिल्ली में ओवरलोड वाहनों की भरमार है। हर दिन हजारों ओवरलोड वाहन सड़कों से गुजरते आम देखे जा सकते हैं। दिल्ली में बीते दस दिनों में सात लोगों की अलग-अलग मामलों में ओवरलोड वाहनों की वजह से जान जा चुकी है। ट्रक व टेंपो में क्षमता से अधिक सामान भरा जाता है। ट्रैक्टर ट्रॉली में पीछे की तरफ छह से आठ फीट तक सरिया, गाटर व पाइप बाहर लटकते रहते हैं। बावजूद इसके चालक ओवरलोड वाहनों को इतनी तेज दौड़ाते हैं कि मानों कहीं आग बुझाने जा रहे हों। इस लापरवाही के कारण कभी भी बड़ी घटना घट सकती है। लोगों को जानमाल का नुकसान हो सकता है।
अमूमन ऐसा दिखता है हाल
मंगलवार व बुधवार को टीकरी बॉर्डर, निजामपुर, कंझावला, सावदा, कुतुबगढ़, मुंगेशपुर, बवाना, पूठ खुर्द आदि गांवों में ओवरलोड वाहनों की भरमार देखी गई। किसी वाहन के पीछे की ओर सरिया लटक रहा था तो किसी को क्षमता से कई फीट ऊपर तक भरा गया था। कोई ओवरलोड वाहन खराब होकर सड़क पर खड़ा था तो किसी दोनों तरफ अतिरिक्त सामान लटक रहा था।
ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को भी लगता है डर
ओवरलोड वाहन चालक इन दिनों काफी चतुराई दिखा रहे हैं। वह टीकरी बॉर्डर से प्लास्टिक आदि का कचरा ट्रक व टेंपों में भरकर निकलते हैं। इसके बाद करीब 500 मीटर तो रोहतक- पीरागढ़ी रोड पर चलते हैं, फिर गांवों की ओर जाने वाले रास्तों की तरफ रुख कर लेते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को भी इनको रोकने में डर लगता है।
रोकने पर भी नहीं रुकते
दैनिक जागरण टीम ने टीकरी बॉर्डर पर जब यातायात पुलिस कर्मचारियों से इस बारे में बात की तो उनका कहना था कि ओवरलोड वाहन रोकने पर भी नहीं रुकते। जब ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों के पास खड़े होकर ओवरलोड वाहनों की तस्वीर लेने का प्रयास किया गया तो ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों ने कहा, 'भाई आप इनकी फोटो न लो, ये ऊपर ही गाड़ी चढ़ा देते हैं।'
निजामपुर गांव से गुजरते हैं ओवरलोड वाहन
टीकरी बॉर्डर के पास से निजामपुर गांव की ओर रास्ता जाता है। ज्यादातर ओवरलोड वाहन मुख्य मार्ग से होते हुए गांव की ओर रुख कर लेते हैं। इसके बाद अलग-अलग गांवों के रास्ते वह ओवरलोड ट्रक, टेंपों को बवाना, नरेला, कंझावला आदि की औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों में पहुंचा देते हैं। क्योंकि, गांवों में ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी कम तैनात होते हैं और ज्यादा चेकिंग नहीं होती। इस कारण इनको नहीं रोकते।
ग्रामीणों की जान पर मंडरा रहा खतरा
ओवरलोड वाहनों से गांव के लोगों को भी जानमाल का खतरा बना रहता है। गांव की सड़कों से जब यह वाहन गुजरते हैं तो आधे से ज्यादा सड़क पर इन्हीं का कब्जा होता है। ओवरलोड वाहनों से कभी 50 से 60 किलोग्राम की बोरियां गिर जाती हैं तो कभी पूरी सड़क पर कचरा गिर जाता है। ओवरलोड वाहन के पीछे चलने वाले वाहन चालकों की इस लापरवाही की वजह से जान तक चली जाती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
हर जगह ट्रैफिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं। ओवरलोड वाहनों के चालान किए जा रहे हैं। गांवों के अंदर से जो वाहन निकल रहे हैं उनका मामला संज्ञान में आया है। इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
मंदीप रंधावा, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, ट्रैफिक
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