Online Game: बच्चों में ऑनलाइन गेम की लत को कैसे छुड़ाएं, डॉक्टर ने बताया तरीका
बच्चे आउटडोर खेलों से दूर होते जा रहे हैं जिसका असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नजर आ रहा है।
नई दिल्ली। बच्चों में ऑनलाइन गेम की लत सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित नहीं है। यह इंटरनेट और स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से जुड़ा हुआ मामला है। आज देश में लगभग हर जगह घर में स्मार्ट फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है। लॉकडाउन से पहले जिन घरों में ये सुविधा नहीं थी, उन्हें भी बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होने के कारण यह व्यवस्था करनी पड़ी है। इसलिए यह समस्या हर जगह के बच्चों में है। ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन हिंसक गेम खेलते हैं इसलिए उनमें अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती है।
इसी से बच्चे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे देते हैं। इसलिए माता-पिता घर पर बच्चों को इस तरह का माहौल उपलब्ध कराएं कि उनके मन में कभी हिंसक गेम खेलने का ख्याल ही न आए। इसके लिए बच्चों को मीडिया साक्षरता के माध्यम से जागरूक करने की जरूरत है। जो लोग ऑनलाइन गेम को मनोरंजन का साधन मानते हैं, उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस चीज से हमें नुकसान हो रहा है, उसका मनोरंजन करने में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। ऑनलाइन गेम में कुछ ऐसे गेम भी प्रचलन में आए, जिनके कारण कई बच्चों ने आत्महत्या के साथ कई आपराधिक घटनाओं को भी अंजाम दिया। बाद में सरकार को ये गेम प्रतिबंधित करने पड़े।
ऑनलाइन क्लास के कारण कुछ ऐसे बच्चों के हाथ में स्मार्ट फोन आ गया है जो अभी तक इनका इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। अगर हम आज के समय में बच्चों की जीवन शैली को देखें तो काफी कुछ समझने में आसानी होगी। एक समय था जब बच्चे अपने दोस्तों के साथ बाहर खेलने जाते थे। पार्को में खेल के मैदान में अलग-अलग तरह के खेल खेलते थे। लेकिन आज बच्चे स्कूल गए, एक्स्ट्रा क्लास गए, ट्यूशन में पढ़ाई की। उसके बाद मनोरंजन के लिए कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी देखा और फिर सो गए। सुबह उठने के बाद फिर लगभग वही दिनचर्या।
ऐसे में बच्चे आउटडोर खेलों से दूर होते जा रहे हैं, जिसका असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नजर आ रहा है। अभिभावकों को बच्चों को आउटडोर खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हालांकि अभी कोरोना काल में यह संभव नहीं है, फिर भी उन्हें ऑनलाइन गेम की लत से भी बचाना है। इसके लिए बच्चों को घर पर ही रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ना होगा।
इसके लिए चित्रकारी, पौधों को पानी देना आदि दैनिक गतिविधियों का हिस्सा बनाएं। साथ ही बच्चों को अपने सभी दोस्तों से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें। परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर संयुक्त परिवार है तो परिवार के अन्य सदस्यों दादा-दादी, चाचा-चाची और घर के दूसरे बच्चों के साथ भी उन्हें जोड़ने की कोशिश करें। जब बच्चे इन सबसे जुड़ेंगे और संवाद करेंगे तो वह समय बिताने और खेलने के नए तरीके भी निकालेंगे। घर में ही अगर बच्चों का एक ऐसा समूह बन जाए कि वे खुद ही रचनात्मक कार्य करते हुए अपना समय बिताएं तो इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता। इस तरह से वह ऑनलाइन गेम से भी दूर रह सकेंगे और मनोरंजन भी कर सकेंगे। यह बच्चों का अकेलापन दूर करने का अच्छा तरीका हो सकता है।
(फोर्टिस हेल्थकेयर के मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख की संवाददाता राहुल चौहान से बातचीत पर आधारित।)
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