नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी को रोकने के लिए पहली और दूसरी खुराक में अलग-अलग कंपनी का टीका लगाने की अनुमति की मांग पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है। हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने सूचित किया कि किसी व्यक्ति को कोविशील्ड की पहली खुराक और कोवैक्सीन की दूसरी खुराक लेने की अनुमति नहीं है। बूस्टर डोज के लिए जरूर इसकी इजाजत है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने क्या कहा?
स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया के माध्यम से केंद्र द्वारा दाखिल हलफनामे को देखते हुए न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि कोरोनारोधी टीकों के दो खुराकों को मिलाने के संबंध में मैसर्स क्रिश्चियन मेडिकल कालेज, वेल्लोर द्वारा चरण चार के परीक्षण किए जा रहे थे। अब भी दो खुराकों के मिश्रण की अनुमति नहीं दी गई है। अदालत ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पिछली दो तारीखों में कोई नहीं पेश हुआ, ऐसे में याचिका को खारिज किया जाता है।
मिश्रित खुराक को लेकर क्या बोली केंद्र सरकार?
कैंसर रोगी मधुर मित्तल ने याचिका में कहा था कि 2021 में उन्हें कोविशील्ड की पहली खुराक लगी थी और दूसरी खुराक के रूप में कोवैक्सीन लेने की अनुमति चाहते हैं। उन्होंने दलील दी थी कि पहला टीका लगाने के बाद उन्हें विभिन्न प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा था। ऐसे में दूसरी खुराक के रूप में उन्हें कोवैक्सीन लगवाने की अनुमति दी जाए।
वहीं, केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि मिश्रित खुराक की सुरक्षा और प्रभावकारिता के संबंध में दो विशेषज्ञ निकाय राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप आन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फार कोरोना-19 (एनईजीवीएसी) ने कोई सिफारिश नहीं की है।