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PM Cares Fund मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का और समय मिला, 31 जनवरी को होगी सुनवाई

PM Cares Fund को सरकार की एक व्यवस्था घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने की अपील को स्वीकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

By Aditi ChoudharyEdited By: Published: Fri, 16 Sep 2022 04:39 PM (IST)Updated: Fri, 16 Sep 2022 04:39 PM (IST)
PM Cares Fund मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का और समय मिला, 31 जनवरी को होगी सुनवाई

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। पीएम-केयर्स फंड को सरकार की एक व्यवस्था घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने की केंद्र सरकार की अपील को दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 31 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

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पीएम केयर्स फंड पर केंद्र या राज्य सरकारों का नियंत्रण नहीं

पिछली सुनवाई पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में अवर सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि पीएम केयर्स फंड के कामकाज में केंद्र या राज्य सरकारों का कोई नियंत्रण नहीं है। यह सरकारी फंड नहीं है और पारदर्शिता के साथ काम करता है। इसके द्वारा एकत्र की गई राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के एक पैनल के चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा इसका आडिट किया जाता है। श्रीवास्तव मानद आधार पर पीएम केयर्स ट्रस्ट में अपने कार्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल ने संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत पीएम-केयर्स फंड को सरकार की एक व्यवस्था घोषित करने की मांग की है। प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता के लिए ट्रस्ट द्वारा प्राप्त किए गए अप्रयुक्त फंड की जानकारी के साथ आडिटर की रिपोर्ट को आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है।

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तीसरे पक्ष को नहीं दी जा सकती जानकारी

उन्होंने कहा कि अगर याचिकाकर्ता केवल पारदर्शिता के लिए विभिन्न राहतों की मांग कर रहा तो इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत पीएम केयर्स एक सरकारी व्यवस्था है या नहीं। उन्होंने कहा कि भले ही ट्रस्ट संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत एक व्यवस्था या प्राधिकरण हो या सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के प्रविधानों के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण, लेकिन इससे जुड़ी जानकारी तीसरे पक्ष को देने की अनुमति नहीं है।


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