डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा मिलने से युवाओं के लिए इस फील्ड में करियर की अपार संभावनाएं
Career in Digital Banking भीम गूगल पे फोनपे या पेटीएम जैसे एप्स के आ जाने से अब किसी को पैसे भेजने हों या किसी से पैसे लेने हों यह सब कुछ घर बैठे डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से संभव है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Career in Digital Banking कोरोना संकट के बीच देश की डिजिटल बैंकिंग में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है। पिछले सात-आठ महीने में डिजिटल पेमेंट्स के मामले में कई सारे नए रिकॉर्ड बन गए हैं। नोटों से संक्रमण न फैले, इसलिए लोग इसे ही अधिक तरजीह दे रहे हैं। छोटे-छोटे कारोबारी तक डिजिटल पेमेंट लेने लगे हैं। यह काफी आसान भी है। इसके लिए आपको बैंक या एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं होती। घर बैठे ही सारी बैंकिंग हो जाती है। साथ में शारीरिक दूरी भी बनी रहती है। इसके अलावा, डिजिटल भुगतान करने पर मिलने वाली छूट और कैशबैक ने इसे और आकर्षक बनाया है, जिससे डिजिटल पेमेंट्स का उपयोग लगातार बढ़ रहा है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआइ) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर महीने स्मार्टफोन आधारित डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म काइस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। फिलहाल मौजूदा समय में देश की कुल जीडीपी में डिजिटल पेमेंट की हिस्सेदारी करीब 10 फीसद है, जिसे अगले साल तक बढ़ाकर 15 फीसद तक करने का लक्ष्य है।
क्या है डिजिटल बैंकिंग : सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल बैंक और हमारे ट्रेडिशनल बैंक एक ही प्रकार की बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं। इनमें बस फर्क यह होता है कि बैंक की शाखा की तरह डिजिटल बैंक की कोई फिजिकल ब्रांच नहीं होती। यह पूरी तरह से ऑनलाइन संचालित होता है और तकनीक की मदद से बैंक को ही ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है।
डिजिटल बैंकर की भूमिका : एक डिजिटल बैंकर मोबाइल बैंकिंग पंजीकरण के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा नए ग्राहक बनाने में योगदान देता है। पुराने ग्राहकों को डिजिटल बैंकिंग के फायदे बताते हुए उन्हें भी मोबाइल बैंकिंग शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, तय नियमों के अनुसार ग्राहकों के उचित दस्तावेज इकट्ठा करना या केवाइसी करने जैसी जिम्मेदारी भी डिजिटल बैंकर ही निभाते हैं। साथ ही रिलेशनशिप मैनेजर या वेल्थ मैनेजर के रूप में ये प्रोफेशनल डिजिटल बैंकिंग में पेश आने वाली समस्याओं के निवारण के साथ-साथ ग्राहकों को निवेश के बारे में भी जानकारी देने का काम करते हैं।
कोर्स एवं योग्यता : डिजिटल बैंकर बनने के लिए कॉमर्स स्ट्रीम से 12वीं पास अभ्यर्थी तीन वर्षीय एडवांस डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस का कोर्स कर सकते हैं या फिर एक वर्षीय ग्लोबल पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस जैसे कोर्स करके भी इस फील्ड में करियर बना सकते हैं। एक वर्षीय कोर्स किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएट छात्र कर सकते हैं।
जॉब संभावनाएं : सरकार और आरबीआइ की ओर से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिए जाने से इन दिनों डिजिटल बैंकर्स की डिमांड सार्वजनिक और निजी बैंकों के अलावा तमाम वित्तीय संस्थानों में काफी देखी जा रही है। इसके अलावा, पेटीएम, फोनपे, गूगलपे जैसी कंपनियां भी अपने यहां डिजिटल बैंकिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स की नियुक्ति में प्राथमिकता दे रही हैं। विदेश के वित्तीय संस्थानों में भी इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
प्रमुख संस्थान
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
www.ignou.ac.nic
टीकेडब्ल्यू इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस, नई दिल्ली
www.tkwsibf.edu.in
मणिपाल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक
www.manipal.edu
सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मुंबई
www.siu.edu.in
नए दौर का ग्रोइंग फील्ड
नई दिल्ली के टीकेडब्ल्यू इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस के डायरेक्टर प्रो. अमित गोयल ने बताया कि डिजिटल बैंकिंग आज के दौर में बहुत ही एक्साइटिंग और ग्रोइंग फील्ड है। आने वाले समय में देश के लिए यह अगली बीपीओ अपॉच्र्युनिटी के रूप में उभरकर सामने आएगा। चूंकि अभी तक बैंकिंग सिर्फ ब्रांच में होती थी, इसलिए हम बैंक परिसरों में होने वाली बैंकिंग जॉब्स के बारे में ही सोचते थे।
लेकिन निकट भविष्य में जैसे-जैसे दुनिया भर में डिजिटल बैंकिंग बढ़ेगी, देश में रिलेशनशिप मैनेजर, वेल्थ मैनेजर या प्रोडक्ट मैनेजर जैसे डिजिटल बैंकिंग जॉब्स भी बाकी जॉब्स की तरह आउटसोर्स होने शुरू हो जाएंगे। ऐसे में जैसे बीपीओ सेक्टर में बहुत सारे जॉब भारत में शिफ्ट हुए, वैसे ही देश में बैंकिंग में भी एक नई लहर आने वाली है।
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