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दो न्यूज चैनलों के खिलाफ दिल्‍ली हाई कोर्ट पहुंचा बॉलीवुड, गलत रिपोर्टिंग का लगा आरोप

Delhi High Court रिपब्‍लिक टीवी और आर भारत के सीइओ अर्नब गोस्‍वामी के खिलाफ कई बॉलीवुड एसोसिएशन ने दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में बॉलीवुड के चार एसोसिएशन सहित 34 प्रोड्यूसर भी इसमें शामिल हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 05:40 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 06:03 PM (IST)
दो न्यूज चैनलों के खिलाफ दिल्‍ली हाई कोर्ट पहुंचा बॉलीवुड, गलत रिपोर्टिंग का लगा आरोप
आर भारत के सीइओ अर्नब गोस्‍वामी के खिलाफ कई बॉलीवुड एसोसिएशन ने दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

नई दिल्‍ली, एएनआइ। बॉलीवुड से जुड़े कई एसोसिएशन और करीब 34 फिल्‍म निर्माताओं ने देश के दो चैनलों के खिलाफ दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन पर गलत तरीके से क्राइम रिपोर्टिंग करने का आरोप लगा है। इसमें रिपब्‍लिक टीवी और आर भारत के सीइओ अर्नब गोस्‍वामी भी कटघरे में हैं। बॉलीवुड एसोसिएशन ने दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर न्‍याय की मांग की है। इस याचिका में बॉलीवुड के चार एसोसिशन सहित 34 फिल्‍म निर्माता शामिल जिन्‍होंने कार्रवाई की मांग की है।

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किस-किस पर लगा है आरोप

इसमें दो प्रमुख चैनल रिपब्‍लिक टीवी और टाइम्‍स नाउ है। इसमें अर्नब गोस्‍वामी, प्रदीप भंडारी, राहुल शिवशंकर और नवीका कुमार सहित कई लोग भी आरोपित हैं। याचिका में कहा गया है कि इन्‍होंने अमर्यादित तरीके से खबरों को प्रस्‍तुत किया है। इससे बॉलीवुड की गरिमा को ठेस पहुंची है। बॉलीवुड उसके सदस्यों के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना, अपमानजनक और अपमानजनक टिप्पणी करना या प्रकाशित करने के खिलाफ एक्‍शन की मांग की गई है।

अगली सुनवाई 27 नवंबर को 

बता दें कि इससे पहले क्राइम रिपोर्टिग के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मुख्य न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ता से कहा है कि अगली सुनवाई पर वह बताएं कि इस बाबत मीडिया के लिए किस तरह के नियम-कानून बनाया जाएं। अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

मुहम्मद खलील ने याचिका में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले में एक न्यूज चैनल द्वारा खोजी पत्रकारिता के नाम पर भ्रामक जानकारी देने का आरोप लगाया है। खलील ने कहा कि ऐसे चैनलों को क्राइम की रिपोर्टिंग करने से रोका जाए। याची ने दलील दी कि इस प्रकार की भ्रामक जानकारी अदालत की निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित कर सकती है। इसलिए जरूरी है कि केंद्र सरकार को रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के संबंध में निर्देश दिया जाए।

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