बैंकों और ई-कॉमर्स कंपनियों की मिलीभगत से खुदरा व्यापरियों को हो रहा भारी नुकसान: कैट
कैट ने बैंकों पर देश के लोगों के मौलिक अधिकार के हनन तथा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फेयर प्रैक्टिस कोड के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है। कैट ने यह भी कहा है की बैंक और ई-कॉमर्स कंपनियों का नापाक गठजोड़ कम्पटीशन एक्ट 2002 का भी उल्लंघन करता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश के प्रमुख बैंकों द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स पोर्टल पर खरीदारी पर 10 से 20 फीसद की छूट या कैश बैक को कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मौजूदा बैंकिंग व व्यापार कानूनों का घोर उल्लंघन बताते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। कैट ने कहा है कि बैंक और ई-कॉमर्स कंपनियों की मिलीभगत से खुदरा व्यापरियों को काफी नुकसान हो रहा है।
इस मामले पर कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को ज्ञापन भेजकर विभिन्न बैंकों द्वारा ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ अवैध सांठ-गांठ और व्यापारियों एवं लोगों के साथ भेद -भाव करने का आरोप लगाया है और इस सारे मामले की तुरंत जांच की मांग की है। शिकायत में कैट ने कहा है कि ई कॉमर्स कंपनियों के ऑनलाइन पोर्टल से माल की खरीद करने पर कुछ प्रमुख बैंकों द्वारा 10 फीसद कैश बैक या डिस्काउंट दिया जा रहा है। जिससे देश के व्यापारियों का बड़ा अहित हो रहा है। कैट ने बैंकों पर ई -कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर एक कार्टल बनाने का आरोप लगाया है जो सीधे तौर पर अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। कैट ने बैंकों पर देश के लोगों के मौलिक अधिकार के हनन तथा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फेयर प्रैक्टिस कोड के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है।
कैट ने यह भी कहा है की बैंक और ई-कॉमर्स कंपनियों का नापाक गठजोड़ कम्पटीशन एक्ट 2002 का भी सीधे तौर पर उल्लंघन करता है। सीतारमण को भेजे अपने ज्ञापन में कैट ने कहा कि "मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर हम आपके दरवाजे पर दस्तक देने को मजबूर हो गए हैं क्योंकि देश के अनेक बैंक अपनी मनमर्जी से ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ अपवित्र गठबंधन कर देश के व्यापारियों के व्यापार को प्रतिस्पर्धा से बाहर रखने के षड्यंत्र में लिप्त हैं। वित्त मंत्री के तौर पर आप इस मामले का तुरंत संज्ञान लें और बैंकों की इस मनमानी को तत्काल रोकें। इस गंभीर मामले की जांच कराई जाए की आखिरकार बैंक किस आधार पर 10 फीसद का कैश बैक या डिस्काउंट ई-कॉमर्स पोर्टल से खरीद पर दे रहे हैं। कैट ने इस आशय का एक ज्ञापन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री को भी भेज कर इस मुद्दे पर उनके हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने अपने शिकायती ज्ञापन में बैंकों पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 301 के गंभीर उल्लंघन तथा भारतीय रिजर्व बैंक के निष्पक्ष व्यवहार संहिता के उल्लंघन का आरोप बैंकों पर लगाया है। उन्होंने कहा की इसके अलावा बैंक कम्पटीशन एक्ट 2002 की धारा 3 (1) का भी सीधा उल्लंघन कर देश में छोटे व्यवसायों के लिए बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा का रहे हैं। बैंक देश के व्यापारियों और नागरिकों के बीच भेदभावपूर्ण रवैया अपना रहे हैं, जो भारत के संविधान के खिलाफ है।
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