Farmer Protest: हरियाणा से आने वाले लोग राकेश टिकैत को दे रहे तरजीह, पंजाब के नेताओं की बढ़ी बेचैनी
हरियाणा और स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ने से पंजाब से आए लोग और किसान नेता उत्साहित जरूर हैं लेकिन इनके आने से अब कुंडली बार्डर पर भी राकेश टिकैत का दबदबा बढ़ता दिख रहा है। 26 जनवरी से पहले यहां राकेश टिकैत की कोई चर्चा नहीं होती थी।
नई दिल्ली/ सोनीपत, जागरण संवददाता। कृषि कानून विरोधी आंदोलन बृहस्पतिवार को 78वें दिन में प्रवेश कर गया। समय बढ़ने के साथ ही आंदोलन स्थल का नजारा भी बदलने लगा है। अब धरना-प्रदर्शन में हरियाणा के लोगों की भागीदारी बढ़ रही है और हरियाणा से आने वाले अधिकांश खाप पंचायतें भाकियू नेता राकेश टिकैत को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। हरियाणा के खाप प्रतिनिधि आंदोलन में पंजाब के नेताओं की राजनीति और सरकार गिराने की बात का पहले ही विरोध कर चुके हैं। भले ही आंदोलन में हरियाणा-पंजाब के भाईचारे और एकजुटता के नारे लगते हों, कहीं न कहीं आंदोलन में दो धड़ा बनता दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी इसको लेकर चिंतित जरूर दिखते हैं और एकजुटता बनाए रखना उनके लिए भी चुनौती बन रहा है।
गणतंत्र दिवस के ट्रैक्टर परेड से पहले कुंडली बार्डर पर चल रहे आंदोलन में पंजाब से आए लोगों की भीड़ ज्यादा दिखती थी, लेकिन दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पंजाब के काफी लोग वापस लौट गए। दो दिन की मायूसी के बाद गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत के आह्वान के बाद उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा के लोग बड़ी संख्या में आंदोलन में शामिल होने लगे। स्थिति यह है कि कुंडली बार्डर पर अब पंजाब व हरियाणा के लोगों की भागीदारी लगभग बराबर हो गई है।
हरियाणा और स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ने से पंजाब से आए लोग और किसान नेता उत्साहित जरूर हैं, लेकिन इनके आने से अब कुंडली बार्डर पर भी राकेश टिकैत का दबदबा बढ़ता दिख रहा है। 26 जनवरी से पहले यहां राकेश टिकैत की कोई चर्चा नहीं होती थी, लेकिन अब यहां आने वाले ज्यादातर लोग टिकैत की ही बातें करते हैं। आंदोलन में टिकैत के बढ़ते दबदबे को देखते हुए पंजाब के किसान नेताओं की बेचैनी जरूर बढ़ी है।
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यही वजह है कि एक दिन पूर्व हुई संयुक्त मोर्चा की बैठक में भी तनातनी बनी रही और बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी और भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत की अंतर्कलह किसी से छिपी नहीं है। पिछले दिनों उनका एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वे टिकैत की खिलाफत करते दिख रहे हैं। हालांकि बाद में उनकी ओर से इसे पुराना वीडियो बताया गया था।
लगा टिकैत का स्टाल
आंदोलन स्थल अब राकेश टिकैत के पोस्टर, कटआउट आदि के लिए स्टाल भी लगने लगे हैं। यही नहीं, स्टाल पर टिकैत की फोटो छपी टी-शर्ट की भी धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है और आंदोलन में आने वाले लोग इसे खूब खरीद भी रहे हैं। स्टाल पर टी-शर्ट व कटआउट बेच रहे सुरजीत ने बताया कि उनके पास से रोजाना 50-60 टी-शर्ट, कटआउट बिक जाते हैं। आंदोलन को दोबारा खड़ा करने में टिकैत साहब की प्रमुख भूमिका रही है, इसलिए अब लोगों में उनकी अगल छवि बनी है और उनके नाम लोग कृषि कानूनों के विरोध में इकट्ठे हो रहे हैं।