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Hindi Diwas 2022: हिंदी के वो 10 उपन्यास, जिन्होंने देश-विदेश के करोड़ों पाठकों के दिलों पर छोड़ी छाप

intro Hindi Diwas 2022हिंदी दिवस पर हिंदी की10 बेजोड़ उपन्यासों की चर्चा जिन्होंने देश ही नहीं दुनिया भर में लोगों के दिलों पर राज किया है। इन उपन्यासों के एक-एक चरित्र लोगों को याद हैं। तो आइए जानते हैं हिंदी के 10 ऐसे सदाबहार उपन्यास के बारे में।

By Babli KumariEdited By: Published: Tue, 13 Sep 2022 04:14 PM (IST)Updated: Wed, 14 Sep 2022 09:16 AM (IST)
Hindi Diwas 2022: हिंदी के वो 10 उपन्यास, जिन्होंने देश-विदेश के करोड़ों पाठकों के दिलों पर छोड़ी छाप
हिन्दी के दस सदाबहार उपन्यास, हिंदी दिवस 2022

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। Hindi Diwas 2022: हिंदी साहित्य अपने आप में अतुलनीय है। भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, मैथिली शरण गुप्त, रामधारी सिंह दिन और न जाने कितने...मैं अगर नाम लिखने पर आऊं तो दिन बीत जाए। इन सभी ने हिंदी को उस मुकाम पर पहुंचाया है जहां पूरा विश्व आज भी उसे सम्मान से देखता है और इनके इसी योगदान का सम्मान करने के लिए ही देशभर में 14 सितंबर को 'हिंदी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

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य‍ह दिन हिंदी भाषा की महत्ता और उसकी नितांत आवश्‍यकता को याद दिलाता है। सन् 1949 में 14 सितंबर के दिन ही हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था जिसके बाद से अब तक हर साल यह दिन 'हिंदी दिवस' के तौर पर मनाया जाता है।

आज हिंदी तेजी से वैश्विक रूप धारण करती जा रही है। भूमण्डलीकरण के इस दौर में हिंदी अपनी उपयोगिता सिद्ध करने में कामयाब हुई है। इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं होना चाहिए कि हिंदी न केवल हिन्दुस्तान के दिल की भाषा है, बल्कि विश्व के कोने-कोने में यह रचती-बसती है।

एक तरफ दक्षिण अफ्रीका, फीजी, मॉरीशस, गुयाना, त्रिनिदाद, सूरीनाम जैसे देशों में हिन्दी की जड़ें निरन्तर गहरी होतीं चली जा रही हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका, रूस, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, कोरिया, चीन, पौलेण्ड जैसे सभी प्रमुख देशों को भूमण्डलीकरण के इस दौर में टिके रहने के लिए हिंदी का मुंह ताकने के लिए विवश होना पड़ रहा है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। आज विश्व के चालीस से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है।

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भारत के हिंदी भाषा का इतिहास किसी समुद्र से कम नहीं है। जिसे चंद किताबों के जरिए बता पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन कुछ चुनिन्दा उपन्यास और कहानियां ज़रूर है जिसे पढ़ने के बाद भारतीय लेखन का असल इतिहास झलकता है। ये कुछ ऐसी कहानियां हैं जिन्हें पढ़कर आज भी आप भावविभोर हो जायेंगे, आज भी ये इतनी प्रासंगिक महसूस होती है कि इसे पढ़कर आपकी दिमाग की नसों में बिजली कौंध जायेंगी।

आज भी कुछ उपन्यास पढ़ने के बाद आंखे नम हो जाती हैं और मन इस दुविधा में पड़ जाता है कि क्या सच में कोई लेखक ऐसी कल्पना कर सकता है।

ऐसे में अगर आप भी एक से एक से बेहतरीन हिंदी उपन्यास और कहानियां पढ़ने का शौक रखते हैं तो फिर आपको इन कहानियों को ज़रूर पढ़ना चाहिए। क्योंकि इस लेख में हम आपको 10 प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन उपन्यासों ने देश के साथ-साथ विदेशों पाठको भी लुभाया है। 

गोदान

प्रेमचंद आधुनिक हिंदी साहित्य के कालजयी कथाकार हैं। कथा-कुल की सभी विधाओं—कहानी, उपन्यास, लघुकथा आदि सभी में उन्होंने लिखा और अपनी लगभग पैंतीस वर्ष की साहित्य-साधना तथा लगभग चौदह उपन्यासों एवं तीन सौ कहानियों की रचना करके ‘प्रेमचंद युग’ के रूप में स्वीकृत होकर सदैव के लिए अमर हो गए। प्रेमचंद का ‘गोदान’ उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि वह हिंदी का बेहतरीन उपन्यास माना गया और इस उपन्यास से ही प्रेमचंद को कथा सम्राठ के नाम से जाना जाने लगा। यह उपन्यास पहली बार 1936 में प्रकाशित हुआ था।

गोदान उपन्यास में भारतीय किसान का सम्पूर्ण जीवन- जैसे उसकी आकांक्षा-निराशा, उसकी बेबसी और इच्छा या कामना का जीता जागता चित्र इस उपन्यास में उपस्थित किया गया है। आपको बता दें कि 'गोदान' प्रेमचंद के द्वारा लिखे गए सबसे बेहतरीन उपन्यासों में से एक है। कुछ लोग इस उपन्यास को प्रेमचंद की सर्वोत्तम कृति भी मानते हैं।

मैला आंचल

ग्रामीण अंचल को दर्शाने वाला ये हिंदी का बेहतरीन उपन्यास है. इसकी पृष्ठभूमि में उत्तर-पूर्वी बिहार का ग्रामीण इलाका है, जिसमें एक युवा डॉक्टर आकर रहता है और ग्रामीणों के लिए काम करता है। इस दौरान उसका सामना ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख, कष्ट, अभाव, अज्ञान और अन्धविश्वास से होता है। (लेखक: फणीश्वरनाथ रेणु)

सूरज का सातवां घोड़ा

राजनीति, प्रेम और साहित्य उपन्यास के सहज-स्वाभाविक विषय हो सकते हैं। 'सूरज का सातवाँ घोड़ा' की रचना इन्हीं उपकरणों के सहारे होती है। इसलिये यह कृति विराट सामाजिक प्रश्नों को नज़रअंदाज कर वैयक्तिक संदर्भों से रची जाती है। इसे महाकाव्यात्मक उपन्यास की श्रेणी में न रखकर लघु उपन्यास की श्रेणी में रखा गया है। श्याम बेनेगल ने इसका फिल्मांकन किया था जो कला फिल्म के रूप में बेहद सराही गई थी।

कितने पाकिस्तान

पार्टिशियन के इर्द-गिर्द लिखी गई ये किताब आपको ज़रूर पढ़नी चाहिए। 'कितने पाकिस्तान' को एक प्रयोगवादी हिंदी उपन्यास माना जाता है। इसमें कई ऐतिहासिक कैरेक्टर को कोर्ट में बुलाकर उनसे इतिहास को लेकर उनकी राय पूछी गई है। इसे साल 2003 में साहित्य एकेडमी अवॉर्ड भी मिला था।

राग दरबारी

साल 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित 'राग दरबारी' एक प्रसिद्ध उपन्यास है। दाग दरबारी हिंदी साहित्य के विख्यात साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल द्वारा लिखित एक व्यंग्य पुस्तक है। कहा जाता है कि इस उपन्यास में गांव की कथा से आधुनिक भारत की मूल्यहीनता को बड़े से सहजता के साथ चित्रण किया गया है। अगर आपको व्यंग पढ़ना पसंद है तो आपको राग दरबारी आज ही ख़रीद लेनी चाहिए। इस बुक के लिए 1969 में श्री लाल शुक्ल जी को साहित्य एकेडमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

तमस

हिंदी के विख्यात लेखक भीष्म साहनी का 'तमस' उपन्यास सबसे बेहतरीन और प्रसिद्ध उपन्यास में से एक है। कहा जाता है कि इस उपन्यास में आजादी के ठीक पहले भारत में हुए साम्प्रदायिकता के नग्न नर्तन का चित्रण किया गया है। आपको बता दें कि इस उपन्यास में कुल पांच कहानियां हैं। इस किताब में देश के विभाजन से पहले के माहौल का वर्णन कहानी के रूप में किया गया है। ये बताता है कि कैसे उस वक़्त लोगों की घटिया सोच की वजह से सांप्रदायिक दंगे हुए थे। तमस को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

पिंजर

अमृता प्रीतम के उपन्यास पिंजर की पूरी भूमिका विभाजन पर टिकी है। वैसे यह मुख्त रूप से पंजाबी भाषा में लिखी गई थी, लेकिन खुशवंत सिंह ने इसका अनुवाद हिंदी में किया। इस पर एक फ़िल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। यह उपन्यास बंटवारे के दौरान एक हिंदू लड़की पूरो और मुस्लिम लड़के राशिद की प्रेम कहानी है।

गुनाहों का देवता

ये हिंदी के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासों में से एक है। इसके सौ से ज्यादा संस्करण छप चुके हैं। उपन्यास का आधार एक अव्यक्त प्रेमकथा है। यह एक युवक की कहानी है, जिसे अपने शिक्षक की बेटी से प्रेम हो जाता है। यह उपन्यास प्रेम को एक नई परिभाषा देता है। (लेखक: धर्मवीर भारती)

आधा गांव

हिन्दी साहित्य में विभाजन की त्रासदी को दिखाते हुए अनेक उपन्यास लिखे गए हैं। इसी कड़ी में राही मासूम रज़ा का उपन्यास ‘आधा गाँव’ भी शामिल है। यह एक उपन्यास नहीं वरन उस गाँव की जीवन गाथा है जिसने विभाजन का संत्रास झेला। इस उपन्यास में गंगौली में रहने वाले मुख्यतः मुस्लिम समुदाय के लोगों की कहानी है। गंगौली गाँव दो भागों में बटा हुआ है उत्तर-टोला और दक्खिन-टोला। इन दो टोलों में रहने वाले शीआ और सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं इनके अलावा कुछ अन्य जातियाँ भी गाँव में हैं जो हिन्दू हैं। यह उपन्यास जिस तरह मुस्लिम समुदाय के रहन सहन को दिखाता है वह अन्यत्र कम दिखाई देता है। यह उपन्यास सांप्रदायिक दंगों के कारण गाँव में आए परिवर्तन की कहानी है।

शेखर एक जीवनी

ये एक अधूरी Trilogy है जिसका तीसरा पार्ट नहीं लिखा जा सका। मगर इसमें जिस तरह से अज्ञेय कहानी को सुनाते हैं वो हर किसी के दिल को भा जाता है। अज्ञेय ने मनोवैज्ञानिक द्रष्टिकोण से शेखर के जरिये एक व्यक्ति के विकास की कहानी बुनी है ।अज्ञेय जन्मजात विद्रोही है वो परिवार ,समाज व्यवस्था , सबके खिलाफ विद्रोह कहता है ।वो व्यक्ति की स्वतंत्रता को उसके लिए बेहद जरूरी मानता है । आपको इसे एक बार ज़रूर पढ़ना चाहिए।


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