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स्वाति मालीवाल मामले में अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार गिरफ्तार, कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत याचिका

स्वाती मालीवाल मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व निजी सहायक (पीए) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी है। पुलिस उन्हें कोर्ट में पेश करेगी। अदालत ने कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक ने बताया है कि बिभव कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है। ऐसे में याचिका पर सुनवाई औचित्य नहीं है।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Published: Sat, 18 May 2024 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2024 06:19 PM (IST)
स्वाति मालीवाल मामले में अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार गिरफ्तार, कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत याचिका

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। स्वाती मालीवाल मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व निजी सहायक (पीए) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी है। पुलिस उन्हें कोर्ट में पेश करेगी।

अदालत ने मामले पर निर्णय सुनाते हुए कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक ने बताया है कि बिभव कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है। ऐसे में याचिका पर सुनवाई औचित्य नहीं है। अदालत ने कहा कि याचिका निष्प्रभावी हो गई है, ऐसे में इसका निपटारा किया जाता है।

विभव के अधिवक्ता ने दिए अदालत में तर्क, निर्णय सुरक्षित 

तीस हजारी अदालत में केजरीवाल के पीए बिभव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि बिभव कुमार पुलिस स्टेशन में मौजूद हैं और उनकी गिरफ्तारी की आशंका है। हरिहरन ने तर्क दिया कि किसी भी मामले में सात साल की सजा नहीं है। यह भी तर्क दिया कि जहां पर घटना हुई है, वहां पर सीसीटीवी था और सीएम से मुलाकात के लिए पहले से अप्वाइंटमेंट लेना जरूरी होता है, लेकिन स्वाति सीधे सीएम आवास पहुंच गईं, जेाकि सीएम की सुरक्षा में सेंध है।

सुनवाई के दौरान अदालत को वीडियो दिया गया, इसमें सीएम के घर में स्वाति मालीवाल के बैठे दिखाई दे रही हैं। हरिहरन ने कहा कि स्वाति द्वारा लगाए जा रहे आरोप समझ से परे हैं, आखिर विभव ऐसे मारपीट करना क्यों शुरू करेंगे।

हरिहरन ने कहा कि कई लोग वहां मौजूद थे, अगर स्वाति के साथ कोई मारपीट होती तो वह चिल्लाती, अगर वह चिल्लाती तो वहां मौजूद लोग सुनते। अदालत ने तर्कों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया।


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