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Driverless Metro in Delhi: फिलहाल ड्राइवर भी मौजूद रहेगा देश की पहली चालक रहित मेट्रो ट्रेन में

Driverless Metro in Delhi फिलहाल ड्राइवर केबिन में एक चालक मौजूद रहेगा लेकिन वह कोई ऑपरेशन नहीं करेगा। वह सिर्फ यात्रियों की सहूलियत और उनके भरोसे के लिए रहेगा। अगले कुछ माह में उसे भी केबिन से हटा दिया जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 12:56 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 01:04 PM (IST)
ट्रेन में स्लीप और वेक टाइम फीड कर दिया जाएगा।

नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। Driverless Metro in Delhi:  प्रधानमंत्री नरेंद्र द्वारा उद्घाटन करने के बाद देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो ने सोमवार से रफ्तार भी भरनी शुरू कर दी है। जसोला विहार (शाहीन बाग) से जनकपुरी वेस्ट के बीच चलने वाली स्वचालित मेट्रो पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। सिग्नलिंग भी ऑटोमेटिक हैं। जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक, फिलहाल ड्राइवर केबिन में एक चालक मौजूद रहेगा, लेकिन वह कोई ऑपरेशन नहीं करेगा। वह सिर्फ यात्रियों की सहूलियत और उनके भरोसे के लिए रहेगा। अगले कुछ माह में उसे भी केबिन से हटा दिया जाएगा।

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बताया गया है कि इससे पहले संचालन से पहले चालक को एक घंटा पहले आकर ट्रेन को मैन्युअल चेक करना पड़ता था, लेकिन अब ट्रेन में स्लीप और वेक टाइम फीड कर दिया जाएगा। जो भी आपरेशन टाइम होगा उससे 10 मिनट पहले ट्रेन वेक होगी यानी फंक्शन स्टार्ट होगा। 10 मिनेट में ट्रेन का सिस्टम सभी सुरक्षा उपायों को चेक करेगी। फिर मूव करेगी।

बता दें कि 37 किलोमीटर लंबी मजेंटा लाइन पर जनकपुरी पश्चिम से बोटेनिकल गार्डन के बीच चालक रहित मेट्रो सेवा शुरू होने के बाद 57 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन पर मजलिस पार्क और शिव विहार के बीच 2021 के मध्य तक चालक रहित मेट्रो सेवा की शुरुआत होगी। इसकी तैयारी की जा रही है।

यहां पर बता दें कि सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन (जनकपुरी पश्चिम-बोटेनिकल गार्डेन) पर भारत की पहली चालक रहित ट्रेन परिचालन सेवा का उद्घाटन किया। इसी के साथ पीएम मोदी ने एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर ‘नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की सेवा की भी शुरुआत की।

यह भी जानें

 चालक रहित ट्रेन ऑपरेशन (डीटीओ) में गाड़ियों को डीएमआरसी के तीन कमांड सेंटरों से पूरी तरह से नियंत्रित किया जाता है। हाई रिजाल्यूशन कैमरे लगाने के बाद मेट्रो ड्राइवरों के लिए बनाए गए केबिनों को भी धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा और सभी नियंत्रण पैनलों को कवर करेगा। फिलहाल मेट्रो में जो कैमरे लगे हैं उनसे पटरियों पर कोई फॉल्ट का पता नहीं लग पाता है।

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