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Delhi Rain: कृषि विज्ञानी बोले सर्दी में आसमान से बरसी बारिश की बूंदें कहीं सोना तो कहीं चांदी

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ जेपीएस डबास का कहना है कि दिल्ली के शहरी क्षेत्रों में तो अच्छी खासी बारिश हुई लेकिन देहात की बात करें तो यहां अलग अलग इलाकों में बारिश का वितरण असमान रहा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 02:14 PM (IST)
Delhi Rain: कृषि विज्ञानी बोले सर्दी में आसमान से बरसी बारिश की बूंदें कहीं सोना तो कहीं चांदी
सर्दी में आसमान से बरसी बारिश की बूंदें अमृत समान हैं।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। रविवार को दिल्ली के अलग अलग इलाकों में कहीं बारिश तो कहीं बूंदाबांदी हुई। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि सर्दी में आसमान से बरसी बारिश की बूंदें अमृत समान हैं। इन बूंदों को विज्ञानी सोना- चांदी की संज्ञा दे रहे हैं।

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पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ जेपीएस डबास का कहना है कि दिल्ली के शहरी क्षेत्रों में तो अच्छी खासी बारिश हुई लेकिन देहात की बात करें तो यहां अलग अलग इलाकों में बारिश का वितरण असमान रहा। जहां बारिश ने अधिक मेहरबानी दिखाई वहां लगी फसलों के लिए यह सोना है। जहां बारिश ने बूंदाबांदी की शक्ल ली वहां लगी फसलों के लिए आप इसे चांदी कह सकते हैं।

डॉ डबास का कहना है कि दिल्ली देहात का ऐसा इलाका जो वर्षा आधारित फसल के लिए जाना जाता है वहां बारिश हल्की हुई है। इन इलाकों में अभी सरसों की फसल लगी है। ऐसे इलाके में सरसों की फसल पर पड़ी बारिश की बूंदें काफी अच्छी है। बारिश की मात्रा अधिक हाेती तो यह और भी अच्छा होता। देहात के कुछ इलाकों में बारिश काफी अच्छी है।

संयोग की बात है कि ऐसे इलाकों में गेहूं की फसल लगी है। गेहूं की फसल को बारिश की बूंदों ने मजबूती देने का कार्य किया है। इससे सिंचाई के लिए भूजल का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा। कम से कम एक बार की सिंचाई करने की जरूरत से किसान को फिलहाल निजात मिल गई है।

सब्जियों की फसल के लिए भी बेहतर, लेकिन रहें थोड़ा सतर्क

विज्ञानियों का कहना है कि बारिश सब्जियों की फसल के लिए भी काफी बेहतर है। प्याज व गोभी के लिए यह काफी बेहतर है। लेकिन टमाटर व आलू की फसल पर बारिश के बाद ध्यान देने की आवश्यकता है। अभी के लिए तो यह बारिश अच्छा है लेकिन भविष्य में इन दोनों फसल में पछेता झुलसा रोग आने की संभावना है। बेहतर है कि किसान अभी से सतर्कता बरतें। लक्षण नजर आने पर विज्ञानी से संपर्क कर उपचार की व्यवस्था करें। 

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