इंसानों पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, 2050 तक बढ़ने वाली है मरने वालों की संख्या; एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने किया दावा
द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी के मध्य तक गर्मी से होनेवाली मौतों में 4.7 गुना की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में फोसिल फ्यूल को तापमान बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें तत्काल एनर्जी ट्रांजिशन की जरूरत है ताकि ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ने से रोका जा सके। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2050 तक लाखों लोगों की मौत हो सकती है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। इस सदी के मध्य तक यानी 2050 के आसपास वैश्विक स्तर पर गर्मी से होनेवाली मौतों में 4.7 गुना की बढ़ोतरी होने की आशंका है। द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज की 8वीं वार्षिक रिपोर्ट में जहां एक ओर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न तात्कालिक खतरों पर जोर दिया गया है। वहीं, इसमें सरकारों, कंपनियों और बैंकों से तेल और गैस में निवेश छोड़ने का आग्रह भी किया गया है।
साल 2023 की रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन को लेकर उदासीनता के नुकसान को उजागर करती है। इसमें बताया गया है कि साल 2022 में, लोगों को 86 दिनों तक खतरनाक उच्च तापमान का सामना करना पड़ा। इसमें 60 प्रतिशत दिनों के लिए मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार था। रिपोर्ट के लेखक फोसिल फ्यूल में निवेश करने वाली संस्थाओं की 'लापरवाही' की भी आलोचना की है। इसमें कहा गया है कि लापरवाही के चलते बदलती जलवायु से अनुकूलन की लागत लगातार बढ़ी है।
रिपोर्ट में स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी उजागर किया गया है। इसमें कहा गया है कि हमें एनर्जी ट्रांजिशन की तत्काल आवश्यकता है। यानी हमें जलवायु को नुकसान न पहुंचाने वाली ईंधन चाहिए। रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि तत्काल और बेहतर सवास्थ्य के लिए जलवायु परिवर्तन की दिशा में किए गए प्रयास वैश्विक अर्थव्यवस्था को जीरो-कार्बन की ओर ले जा सकती है। यह बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण के लिए परिवर्तनकारी अवसर प्रदान करेगी।
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तापमान 2.7 डिग्री तक बढ़ेगा
लैंसेट काउंटडाउन की कार्यकारी निदेशक डॉ. मरीना रोमानेलो ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को रोकने के लिए मौजूदा प्रयास अपर्याप्त है। साल 2100 तक तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा और 2022 में रिकॉर्ड उच्च ऊर्जा उत्सर्जन के साथ वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों का स्वास्थ्य अधर में लटक गया है।
वैश्विक कुपोषण का बढ़ा खतरा
रिपोर्ट कुल मिलाकर बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों का एक चिंताजनक चित्र प्रस्तुत करती है, जिसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य से चूक जाने पर सदी के मध्य तक गर्मी से संबंधित मौतों में 370% की वृद्धि होने का अनुमान है। तेजी से बढ़ती विनाशकारी चरम मौसमी घटनाओं ने जल सुरक्षा और खाद्य उत्पादन को खतरे में डाल दिया है, जिससे वैश्विक कुपोषण का खतरा बढ़ गया है।
कमजोर आबादी झेलेंगी समस्याएं
जलवायु परिवर्तन को कम करने में विफलता बढ़ते आर्थिक नुकसान में स्पष्ट है, जो साल 2022 में 264 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और गर्मी के जोखिम के कारण संभावित श्रम घंटों में कमी की संभावना में 42% वृद्धि हुई है। डॉ. जॉर्जियाना गॉर्डन-स्ट्रैचन का कहना है कि इस संकट के ऊपर एक संकट है, जिसमें कमजोर आबादी को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
रिपोर्ट में गंभीर समस्याओं के बावजूद एक उम्मीद की किरण भी मिलती है। लेखक वैश्विक उत्सर्जन में खतरनाक वृद्धि और फोसिल फ्यूल उद्योग में बढ़ते निवेश का हवाला देते हुए इससे तेजी से दूर जाने की वकालत करते हैं।
लाखों लोगों की बिना वजह हुई मौत
इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फोसिल फ्यूल के विस्तार से लाखों लोगों को बेवजह 'मौत की सजा' मिल गई। उन्होंने कहा कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए तत्काल जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करना होगा।
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