दिल्ली में 92 साल के ब्रेनडेड बुजुर्ग ने मरने से पहले महिला को दिया नया जीवन
डा. सुभाष गुप्ता ने कहा कि यह दुनिया में अब तक सबसे अधिक उम्र में हुए अंगदान के मामलों में से एक है। उन्हें स्ट्रोक की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। अंगदान की कोई उम्र नहीं है। यदि पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं है तो 90 से अधिक उम्र में भी ब्रेन डेड होने पर अंगदान संभव है। रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के सेवानिवृत अधिकारी व 92 वर्षीय बुजुर्ग अमृत लाल बुद्धिराजा के अंगदान से 56 वर्षीय महिला को नया जीवन मिला। स्ट्रोक के कारण ब्रेन डेड होने के बाद उनका अंगदान कराया गया। मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़ित महिला को लिवर व किडनी प्रत्यारोपण किया।
मैक्स के यकृत व पित्त विज्ञान केंद्र के चेयरमैन डा. सुभाष गुप्ता ने कहा कि यह दुनिया में अब तक सबसे अधिक उम्र में हुए अंगदान के मामलों में से एक है। उन्हें स्ट्रोक की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। सात जनवरी को उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। उनकी उम्र भले ही 92 साल थी लेकिन जीवनशैली अच्छी होने के कारण उन्हें मधुमेह, ब्लड प्रेशर या कोई अन्य गंभीर बीमारियां नहीं थी। इसलिए किडनी व लिवर ठीक से काम कर रहा था।
इसलिए परिवार के लोगों से अंगदान करने के लिए कहा गया। परिजनों की स्वीकृति से लिवर, किडनी व कॉर्निया दान कराया गया। लिवर व किडनी 56 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित किया गया, जो पोलिसिस्टिक लिवर व किडनी रोग से पीडि़त थीं। इस वजह से लिवर व किडनी ठीक से काम नहीं कर पा रही थी।
इस वजह से उन्हें लिवर व किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत थी। डॉक्टरों ने पहले उनका लिवर प्रत्यारोपण किया। बाद में यूरोलॉजी व किडनी प्रत्यारोपण के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने किडनी प्रत्यारोपण किया। प्रत्यारोपण के बाद मरीज को आइसीयू में रखा गया है। अभी तक उनकी हालत ठीक है। स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। प्रत्यारोपण के मामलों में दो-तीन सप्ताह का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है।
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