2012 Delhi Nirbhaya Case: जब दिल्लीवासियों की लाल आंखें हो गई थीं नम...
2012 Delhi Nirbhaya Case लोग सड़कों पर उतर आए थे। जंतर मंतर सहित पूरी दिल्ली में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। सड़कों पर उतरे लोगों के चेहरे पर दर्द साफ झलकने लगा था।
नई दिल्ली, राकेश कुमार सिंह। 2012 Delhi Nirbhaya Case: छह दरिंदों को की शिकार 23 वर्षीय बहादुर युवती की मौत से पहले दिल्लीवासियों की आंखें, जो क्रोध से लाल थी, घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को गीली हो गई थीं। लोगों की आंखों में आंसू आ गए थे। लग रहा था कि दिल्ली की रफ्तार थम गई हो।
दिल्लीवासियों के होठ फड़फड़ा रहे थे, मगर आवाज नहीं निकल रही थी। सबसे अधिक गुस्सा दिल्ली के लोगों में इसलिए था क्योंकि उनका उससे एक अंजान सा रिश्ता जुड़ गया था, जो विदा हो गई थी। युवती की मौत की सूचना ने दिल्लीवासियों को झकझोर दिया था।
लोग सड़कों पर उतर आए थे। जंतर मंतर सहित पूरी दिल्ली में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। सड़कों पर उतरे लोगों के चेहरे पर दर्द साफ झलकने लगा था। शाम के समय अनेक स्थानों पर कैंडल मार्च निकालकर पीड़िता को श्रद्धांजलि दी जाने लगी। लोगों ने दबी जुबान में प्रशासन को आगाह कर दिया कि अब तो जाग जाओ, नहीं तो हम जगा देंगे। उस समय की याद कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दुनियाभर में यह मामला सुर्खियों में रहा था।
लोग हाथों में बैनर व होर्डिंग लेकर जंतर-मंतर पहुंच गए थे। उस दिन प्रदर्शन कर रहे लोगों के नारों में फर्क था, क्योंकि उनके चेहरों पर पीड़िता के इस बेदर्द दुनिया को बाय कर देने का दुख था। लोगों में इस कदर गुस्सा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जब जंतर मंतर पर पीड़िता को श्रद्धांजलि देने पहुंची तो उन्होंने उनका घेराव कर दिया। उन्होंने दीक्षित को आगे बढ़कर कैंडल तक नहीं जलाने दिया था। जिस पर शीला दीक्षित को एक पेड़ के पास ही मोमबत्ती जलाकर वापस लौटना पड़ा था। रातभर दिल्ली से लोग जंतर मंतर पर पहुंच कर पीड़िता को श्रद्धांजलि देते रहे।
आक्रोश में दिल्ली में कहीं अप्रिय घटना न हो जाए इसलिए पूरी दिल्ली को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। करीब 50 हजार पुलिसकर्मियों को लगाया गया था। दस मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए थे। बहुत मुश्किल से कई दिनों बाद जाकर मामला थोड़ा शांत हो पाया था। मंडी हाउस क्षेत्र में भी उस दिन मनोरंजन के कार्यक्रम नहीं हुए थे। सभी कलाकार जंतर मंतर पर आ गए थे।
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