जानिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में किसे बड़ा मुद्दा बनाने की चल रही तैयारी
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के पिछले दो चुनावों में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। इसी के सहारे शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) को डीएसजीएमसी में सत्ता मिली है। इस चुनाव में भी इसे लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है।
नई दिल्ली, [संतोष कुमार सिंह]। बाला साहिब अस्पताल 19 वर्षो बाद भी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ है, लेकिन इसे लेकर सियासत जरूर तेज हो गई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के पिछले दो चुनावों में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। इसी के सहारे शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) को डीएसजीएमसी में सत्ता मिली है। इस चुनाव में भी इसे लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है। पिछले माह इस अस्पताल परिसर में देश का सबसे बड़ा डायलिसिस केंद्र शुरू किया गया है। इसके साथ ही 125 बिस्तरों वाला कोरोना अस्पताल बनाया जा रहा है। शिअद बादल इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित कर रहा है। वहीं, विरोधी पार्टियां इसे लेकर सवाल खड़े कर रही हैं।
वर्ष 2002 में 12 एकड़ जमीन पर पांच सौ बिस्तरों वाला अत्याधुनिक अस्पताल बनाने का काम शुरू हुआ था। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के कार्यकाल में इसे लेकर एक निजी अस्पताल के साथ समझौता किए जाने पर विवाद शुरू हुआ था। शिअद बादल ने तत्कालीन अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना पर अस्पताल को बेचने व भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। वर्ष 2013 के चुनाव में यह चुनावी मुद्दा बना व सरना को पराजय का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज कराया गया। वर्ष 2017 के चुनाव में भी यह मुद्दा उठा था। इस वर्ष मार्च में यहां सौ मशीन के साथ डायलिसिस केंद्र की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही इसी परिसर में कोरोना अस्पताल बनाने का काम चल रहा है।
डीएसजीएमसी ने सात अगस्त को इसके उद्घाटन की घोषणा की है। शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष व डीएसजीएमसी के महासचिव हरमीत सिंह कालका का कहना है कि कमेटी मानवता की सेवा के लिए काम कर रही है। वहीं, सरना का आरोप है कि चुनाव में लाभ उठाने के लिए बगैर जरूरी मंजूरी के और आपातकालीन सुविधाओं की व्यवस्था किए बिना डायलिसिस केंद्र शुरू किया गया है। उनका कहना है कि उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे। पिछले दिनों अदालत ने भी उन्हें बरी कर दिया है, जिससे स्पष्ट है कि शिअद बादल ने चुनावी लाभ के लिए उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे।
अस्पताल के निर्माण कार्य को भी बाधित किया गया। जग आसरा गुरु ओट (जागो) के नेता भी इस केंद्र को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। विरोधी नेताओं का कहना है कि पांच सौ बिस्तरों का अस्पताल बनाने के बजाय इसके कुछ हिस्से का उद्घाटन किया जा रहा है।