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दिल्ली समेत उत्तर भारत का मौसम बदलने में निकला पाकिस्तानी कनेक्शन

मौसम में यह बदलाव आगे भी जारी रह सकता है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में मौसम में बदलाव के पीछे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 09:46 PM (IST)
दिल्ली समेत उत्तर भारत का मौसम बदलने में निकला पाकिस्तानी कनेक्शन

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में पिछले कई दिनों मौसम बिल्कुल बदला हुआ है। तेज धूप और गर्मी से परेशान लोगों को बुधवार को हुई बारिश से काफी राहत मिली है। बताया जा रहा है कि मौसम में यह बदलाव आगे भी जारी रह सकता है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में मौसम में बदलाव के पीछे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) है, जो पूर्वी ईरान और पड़ोसी देश पाकिस्तान के रास्ते उत्तर पश्चिमी भारत में प्रवेश कर रहा है। इस वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के मौसम में बदलाव हो रहा है।

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एक नहीं तीन वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से बदला मौसम का मिजाज

भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) के अनुसार, मौसम के मिजाज में बदलाव की वजह वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है, वह भी एक नहीं बल्कि एक के एक तीन वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ने उत्तर पश्चिम भारत में अपना असर इस कदर दिखाया कि पहाड़ से लेकर मैदान तक इसका प्रभाव पड़ा। वहीं, आने वाले दो-तीन दिनों में भी पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में ज्यादातर जगहों पर धूल भरी आंधियों के साथ-साथ बारिश होने की संभावना भी मौसम विभाग ने जताई है।  

वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से बरसे बदरा

मौसम विभाग के मुताबिक, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते ही दिल्ली-एनसीआर, यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में बारिश हुई। तकरीबन पूरे भारत में मौसम में बदलाव को लेकर मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस फिलहाल पूर्वी ईरान और पाकिस्तान की ओर से उत्तर पश्चिमी भारत में प्रवेश कर रहा है। इसी के असर के चलते दिल्ली और एनसीआर के मौसम में पिछले तीन  दिनों के दौरान जबरदस्त बदलाव आया है। इसका असर है कि 44 डिग्री सेल्सियस के पार गया तापमान 36 डिग्री के आसपास आ गया है। 

कई राज्य वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से बेअसर

छत्तीसगढ़, तेलंगाना और तमिलनाडु और पुदुचेरी समेत कई राज्य वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से बेअसर रहे हैं। यही वजह है कि राजस्थान के कई इलाकों में धूल भरी आंधी चलने के कारण लोगों को कई तरह की परेशानी हो सकती है। इन इलाकों में गर्मी हवाएं भी चल रही हैं, जिससे लोग स्वास्थ्य संबंध समस्याओं से जूझ रहे हैं। 

ThunderStorm से परेशान कई राज्य पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, जम्मू और कश्मीर और राजस्थान, हरियाणा चंडीगढ़ और असम के कुछ इलाकों में थंडर स्टॉर्म का असर देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में कई जगहों पर ओलावृष्टि होने का पूर्वानुमान है। ऐसे में 18 मई के बाद भी मौसम में बदलाव इसी तरह का रह सकता है। इसी तरह जम्मू कश्मीर तेज हवाओं के साथ बारिश का पूर्वानुमान है। 

दिल्ली में जल्द बदलेगा मौसम का मिजाज

स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से बारिश एवं राहत का यह दौर शुक्रवार को खत्म हो जाएगा। अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। इसके बाद शनिवार और रविवार से आसमान पूरी तरह साफ हो जाएगा। उस सूरत में तापमान भी तेजी से बढ़ेगा और चुभन भरी गर्मी का एहसास भी होगा।

 

वहीं, शुक्रवार को लगातार चौथे दिन बदरा बरसे, लेकिन बारिश हल्की ही रही। लेकिन सुबह ही धूप खिलने से गर्मी से ज्यादा राहत नही मिली। न्यूनतम और अधिकतम तापमान में भी वृद्धि के आसार हैं । पश्चिमी विक्षोभ का असर लगभग खत्म होने के कारण शनिवार-रविवार से दोबारा गर्मी बढ़ने की संभावना है।

शुक्रवार को सुबह सवेरे ही बादल घिर आए। सात से साढ़े 7 बजे के बीच कई जगह तेज हवा के साथ हल्की बारिश भी हुई। हालांकि बाद में मौसम साफ हो गया। इसी वजह से धुप भी तेज होती गई और गर्मी की चुभन भी। दोपहर तक अधिकतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री कम 36.7 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री कम 24.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) क्या है?

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) जिसको पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है। यह एक गैर-मानसूनी वर्षा का स्वरूप है जो पछुवा पवन (वेस्टर्लीज) द्वारा संचालित होता है।

वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण कैसे होता है?

वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर में अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के रूप में उत्पन्न होता है। यूक्रेन और उसके आस-पास के क्षेत्रों पर एक उच्च दबाव क्षेत्र समेकित होने के कारण, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों से उच्च नमी के साथ अपेक्षाकृत गर्म हवा के एक क्षेत्र की ओर ठंडी हवा का प्रवाह होने लगता है। यह ऊपरी वायुमंडल में साइक्लोजेनेसिस के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न होने लगती है, जो कि एक पूर्वमुखी-बढ़ते एक्सट्रैटॉपिकल डिप्रेशन के गठन में मदद करता है। फिर धीरे-धीरे यही चक्रवात ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मध्य-पूर्व से भारतीय उप-महाद्वीप में प्रवेश करता है।

भारतीय उप-महाद्वीप पर वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव

वेस्टर्न डिस्टर्बेंस या पश्चिमी विक्षोभ खासकर सर्दियों में भारतीय उपमहाद्वीप के निचले मध्य इलाकों में भारी बारिश तथा पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि में इस वर्षा का बहुत महत्व है, विशेषकर रबी फसलों के लिए। उनमें से गेहूं सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में मदद करता है।

ध्यान दें कि उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम में आने वाले मानसून से वेस्टर्न डिस्टर्बन्स या पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल कोई संबंध नहीं होता। मानसून की बारिशों में गिरने वाला जल दक्षिण से हिन्द महासागर से आता है और इसका प्रवाह वायुमंडल की निचली सतह में होता है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं। कभी-कभी इस चक्रवात के कारण अत्यधिक वर्षा भी होने लगती है जिसके कारण फसल क्षति, भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन होने लगता है।

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