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दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्री से केंद्रीय करों में वाजिब हिस्सा मांगा

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नियमानुसार वित्त वर्ष 2020-21 में 8150 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-22 में 8555 करोड़ रुपये का आवंटन दिल्ली के लिए किया जाना चाहिए। बैठक में सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में पांच शहरी स्थानीय निकाय हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 09:18 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 09:18 PM (IST)
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की फाइल फोटो

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्री से केंद्रीय करों में वाजिब हिस्सा मांगा है। मनीष सिसोदिया ने सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री से केंद्रीय करों में दिल्ली को समुचित हिस्सा देने का अनुरोध किया। उन्होंने केंद्रीय कर, केंद्र शासित राज्यों को केंद्रीय सहायता और आपदा प्रबंधन कोष में दिल्ली को जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर सहायता देने की मांग की है। वहीं सिसोदिया ने कोरोना के कारण 2020-21 के दौरान राजस्व संग्रह में आई 42 फीसद की कमी पर दिल्ली के लिए अतिरिक्त सहायता देने की भी मांग की है।

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केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा बजट 2021-22 पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट पूर्व बैठक के दौरान सिसोदिया ने यह मांग की। उन्होंने कहा कि 2001-02 से लेकर अब तक बीस साल में केंद्रीय करों में दिल्ली का हिस्सा मात्र 325 करोड़ रुपये पर सीमित रखा गया है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होने के साथ ही यहां विधानसभा भी है, लेकिन केंद्रीय वित्त आयोग के टर्म आफ रेफ्रेंस में दिल्ली को शामिल नहीं किया गया है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश की राजधानी होने और तेजी से बढ़ता महानगर होने के नाते दिल्ली सरकार पर विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की चुनौती है। दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, परिवहन, सड़क और अस्पताल आदि में काफी निवेश की आवश्यकता है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नियमानुसार वित्त वर्ष 2020-21 में 8,150 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-22 में 8,555 करोड़ रुपये का आवंटन दिल्ली के लिए किया जाना चाहिए। बैठक में सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में पांच शहरी स्थानीय निकाय हैं। इनमें तीन बड़े नगर निगम हैं, जिनकी आबादी 39 लाख से लेकर 62 लाख के बीच है।

दिल्ली में नगरपालिकाओं की शक्तियां और कार्य अन्य राज्यों में स्थानीय निकायों के समान हैं। दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप दिल्ली राज्य सरकार अपनी शुद्ध कर आय का 12.5 फीसद हिस्सा दिल्ली नगर निगमों को देती है। दिल्ली के नगर निकायों की चूक के तकनीकी आधारों पर इन्हें बेसिक और परफार्मेस ग्रांट से वंचित करना स्थानीय स्वायत्त निकायों को मजबूत करने की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।

सिसोदिया ने ये भी की है मांग

  • दिल्ली के तीनों नगर निगम गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। 14वें वित्त आयोग के अनुसार प्रति-वर्ष प्रति व्यक्ति 488 रुपये के हिसाब से 193.86 लाख आबादी के अनुसार पिछले 10 वर्षो के बकाये का कुल 12,000 करोड़ रुपया एकमुश्त नगर निगमों को मिले।
  • दिल्ली को वर्ष 2000-01 में केंद्रीय सहायता के रूप में 370 करोड़ मिले थे, जबकि वर्ष 2020-21 में मात्र 626 करोड़ रुपये मिले हैं। वर्ष 2000-01 में सामान्य केंद्रीय सहायता कुल व्यय का 5.14 फीसद थी। यह वर्ष 2020-21 में घटकर मात्र 0.96 फीसद रह गई है।
  • वर्तमान वित्त वर्ष में कोरोना संकट के कारण दिल्ली सरकार पर भारी आर्थिक दबाव है। इसे देखते हुए दिल्ली को सामान्य केंद्रीय सहायता 626 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2020-21 में 1,835 करोड़ रुपये तथा आगामी वर्ष 2021-22 में 1925 करोड़ रुपये मिले।
  • आपदा प्रबंध कोष के तहत अन्य राज्य सरकारों को 11,092 करोड़ रुपये की सहायता मिली, मगर दिल्ली को अपना हक नहीं मिला। दिल्ली के साथ भी बराबरी का व्यवहार हो।
  • कोरोना के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजस्व संग्रह में 42 फीसद की कमी आई है। इस तथ्य के मद्देनजर दिल्ली को अतिरिक्त सहायता मिले।

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