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केजरी के मंत्री का PM पर हमला, 'वही काम करेगा जो मोदी-मोदी चिल्लाएगा'

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि राजेंद्र कुमार ईमानदार अधिकारी हैं। जिस भी विभाग में उन्होंने काम किया, वहां कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2016 08:03 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2016 12:25 PM (IST)

नई दिल्ली (जेएनएन)। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी व दिल्ली सरकार के 9 दानिक्स अधिकारियों के तबादले को लेकर केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। आप सरकार ने अधिकारियों के तबादले को केंद्र सरकार की सोची समझी साजिश बताया है।

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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में कहा कि राजेंद्र कुमार ईमानदार अधिकारी हैं। जिस भी विभाग में उन्होंने काम किया है, वहां के अधिकारी और कर्मचारियों ने कभी भी उनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया। हम लोग भी उनके साथ काम कर रहे थे। कभी कोई शिकायत नहीं मिली।

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वह आइआइटी से पढ़े हुए हैं। मोदीजी को देश का कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति पसंद नहीं है। यहां वही काम करेगा जो मोदी-मोदी चिल्लाएगा, जो केवल काम करेगा वह अब काम नहीं कर पाएगा। चाहे वह कितना भी योग्य और ईमानदार हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। देश में कुछ इस तरह का माहौल तैयार किया जा रहा है।

सिसोदिया ने कहा कि 9 दानिक्स अधिकारियों में से 8 का अंडमान-निकोबार में तबादला केंद्र ने साजिशन किया है। असल मकसद दिल्ली सरकार में जनता के लिए काम करने वाले अधिकारियों को डराना-धमकाना है। जब इन तबादलों के बारे में केंद्र से पूछा गया तो बताया गया कि यह उसका अधिकार है।

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उन्होंने कहा कि यह अधिकार उन्हें हिटलरशाही ने नहीं बल्कि लोकतंत्र ने दिया है। भारतीय गजट की एक कॉपी दिखाते हुए सिसोदिया ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली की जरूरत के अनुसार 409 से 410 दानिक्स अधिकारियों के पद होने चाहिए। दानिक्स के 309 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 165 अधिकारी काम करने के लिए दिए गए।

दिल्ली में काम करने वाले अधिकारियों को यहां से हटाकर केंद्र दिल्ली सरकार एवं अधिकारियों की छवि खराब करना चाहती है। अनधिकृत कॉलोनियों के लोग मोदी जी से जवाब मांगेंगे कि उनकी कॉलोनियों का काम क्यों रोका गया। स्कूली बच्चे मोदी जी से जवाब मांगेंगे कि स्कूलों का काम क्यों रोका गया।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि दीपावली से ठीक पहले दिल्ली के वैट आयुक्त को अंडमान-निकोबार भेज दिया गया। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार ने एलजी एवं गृहमंत्रालय सहित सभी से बात की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कहा गया वहां बहुत जरूरत है, इसलिए भेजा जा रहा है।

छह महीने बाद उन्हें एलजी का सचिव बनाकर दिल्ली लाया गया। अब वहां की जरूरत कैसे समाप्त हो गई। विजय कुमार और एलजी के सचिव पद से तबादला किए गए एचसीएल गुप्ता की फाइल भी दिल्ली सरकार में नहीं भेजी गई।


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