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Red Fort Violence: लाल किले पर ग्रिल के नीचे दबी रेखा व रितु पर डंडे बरसा रहे थे उपद्रवी

Red Fort Violence हरियाणा के जींद जिले की रहने वाले ऋतु ने बताया कि वह और उनकी सहयोगी सिपाही रेखा को एक पल को तो ऐसा लगा कि आज जिंदा नहीं बच पाएंगे। मैं और रेखा करीब 15 मिनट तक ग्रिल के नीचे दबे रहे।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 10:33 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 10:33 AM (IST)
Red Fort Violence: लाल किले पर ग्रिल के नीचे दबी रेखा व रितु पर डंडे बरसा रहे थे उपद्रवी
कुछ उपद्रवियों ने तलवार से हमला कर दिया।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 'हमारी ड्यूटी लाल किले पर थी। हमारे सामने ही ट्रैक्टर और घोड़े पर सवार बड़ी संख्या में उपद्रवी लाल किले में घुस आए। उनके हाथ में पत्थर और तलवारें थीं। भारी भीड़ को आते देख हम लोग जब तक खुद को संभाल पाते उपद्रवियों ने हमला कर दिया। जान बचाने के लिए हम भागे, लेकिन पैर फिसलने के कारण गिरे और लाल किले के किनारे रखा ग्रिल हमारे ऊपर गिर गया। हम ग्रिल के नीचे से निकलने की कोशिश कर रहे थे और चिल्ला रहे थे कि हमें बचा लो, लेकिन मदद करने के बजाय उपद्रवी हमारे ऊपर डंडे बरसा रहे थे।' भर्राती आवाज में दहशत के उन लम्हों की दास्तां दिल्ली पुलिस की सिपाही ऋतु ने कुछ यूं बया की।

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हरियाणा के जींद जिले की रहने वाले ऋतु ने बताया कि वह और उनकी सहयोगी सिपाही रेखा को एक पल को तो ऐसा लगा कि आज जिंदा नहीं बच पाएंगे। मैं और रेखा करीब 15 मिनट तक ग्रिल के नीचे दबे रहे। कुछ देर में वहां पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें ग्रिल हटाकर वहां से निकाला, लेकिन जैसे ही कुछ आगे पहुंचीं उपद्रवियों के एक गिरोह ने उन्हें फिर घेर लिया। कुछ उपद्रवियों ने तलवार से हमला कर दिया।

ऋतु ने बताया कि उन्हें हाथ, पैर और सिर में चोट आई है, जबकि रेखा को पेट में गंभीर चोट आई है। इस कारण वह ज्यादा बोल भी नहीं पा रही हैं। लाल किले पर तैनात सिपाही संदीप भी उपद्रवियों के हमले का शिकार हुए और उनके हाथ में फ्रैक्चर हो गया है।

संदीप कहते हैं कि हजारों की संख्या में लाल किले में घुसे उपद्रवियों ने हंगामा शुरू कर दिया था। हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे थे, लेकिन उपद्रवी सुनने को तैयार नहीं थे। वे सीधे मारपीट और हमला करने की मंशा से आए थे। हमने इस दौरान किला परिसर में मौजूद लोगों को बचाने का काम किया और कई पुलिसकर्मियों को जान बचाने के लिए कूदना पड़ा। 

वहीं मोहन गॉर्डन के एसएचओ बलजीत सिंह की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। उन्‍होंने बताया कि नजफगढ़ रोड पर हमने बैरिकेड से रास्ता रोका दिया था। किसान प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर लेकर नजफगढ़ की तरफ से आए। उन्होंने बैरिकेड तोड़ दिया। इसके बाद अचानक से पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान पूरी भीड़ हिंसक हो गई। दूसरी तरफ सिर्फ हथियार ही हथियार दिखाई दे रहे थे।

बता दें कि लाल किले में जब उपद्रवियों ने हंगामा शुरू कर दिया तब पुलिसकर्मियों के पास पीछे हटने के अलावा कोई चारा नहीं था। पुलिसकर्मी एक खाई की जगह पर कूद कर जान बचाने की कोशिश में जुट गए। इसमें करीब 20 से ज्‍यादा जवान जख्‍मी हो गए थे। जागरण संवाददाता से मुताबिक, उपद्रव करने के मामले में दिल्ली पुलिस अब तक 22 एफआइआर दर्ज की जा चुकी है। उपद्रव के दौरान 300 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। अब तक इस मामले में पुलिस 200 लोगों को हिरासत में ले चुकी है।

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