दिल्ली दंगा: कोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी, कहा- रद्दी की टोकरी में नहीं फेंके जा सकते चश्मदीदों के बयान
Delhi violence दयालपुर हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की हत्या के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने तीनों आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। यह कहते हुए कि चश्मदीदों के बयानों को केवल इस आरोप पर रद्दी की टोकरी में नहीं फेंका जा सकता कि वे ‘झूठे गवाह’ हैं।
नई दिल्ली, आशीष गुप्ता। Dayalpur violence: दिल्ली दंगे में दयालपुर इलाके में हुई हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की हत्या के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने तीनों आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। यह कहते हुए कि चश्मदीदों के बयानों को केवल इस आरोप पर रद्दी की टोकरी में नहीं फेंका जा सकता कि वे ‘झूठे गवाह’ हैं। गत वर्ष 25 फरवरी को दंगे के दौरान दयालपुर इलाके में मोनिश नामक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।
इस मामले में आरोपित अमन कश्यप, प्रदीप राय और आशीष उर्फ गोली की जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में सुनवाई हुई। आरोपितों के वकीलों ने पक्ष रखा कि उनके मुव्वकिलों को झूठे मामले में फंसाया गया है। आरोप लगाया कि जांच एजेंसी ने झूठे गवाह खड़े किए हैं।
वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि अमन कश्यप के घर से तलवार और आशीष के घर से डंडा बरामद हुआ है, जिसका उन्होंने दंगे में उपयाेग किया। तकनीकी साक्ष्यों के रूप में कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पेश कर बताया कि तीनों अपराध स्थल पर थे।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि दो सार्वजनिक गवाहों ने तीनों आरोपितों की पहचान की है। बचाव पक्ष यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि प्रदीप राय और अमन कश्यप की सीडीआर लोकेशन घटना की तारीख में अपराध स्थल पर क्यों थी। कोर्ट ने कहा कि इस चरण में चश्मदीद गवाहों को अलग नहीं रखा सकता, क्योंकि अमन कश्यप के घर से तलवार व आशीष के घर से डंडे की बरामदगी उनके बयानों को पुष्ट करती है। कोर्ट ने कहा कि घटना वाले दिन 10 हजार पीसीआर कॉल रिकॉर्ड हुई थीं। इस कारण यह कहना उचित नहीं कि गवाहों के बयान लेने में देरी हुई।
दिल्ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो